Bharatiya samaj karya

Dube, Ashutosh

Bharatiya samaj karya - New Delhi Shivank 2023 - 268p.

प्रायः प्रत्येक विकासशील देश छोटे-छोटे कारीगरों सहित साहसी उद्योगपतियों को रोजगार के अवसर हेतु ऋण लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कीन्स का स्पष्ट मत है कि रोजगार की मात्रा में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा घाटे का बजट बनाना लाभकारी होता है। यह सिद्धान्त प्रायः सर्वस्वीकृत है। भारत जैसे विकासशील देश तो प्रत्येक वर्ष घाटे का बजट ही प्रस्तुत करते हैं। बजटीय न्यूनता की पूर्ति हेतु गृहीत ऋण का ब्याज भी चुकाना पड़ता है, फिर भी विकासार्थ तथा सामाजिक जीवन को सुखमय बनाने हेतु घाटे की वित्त व्यवस्था उचित मानी जाती है। मेरे विनम्र मत में चार्वाक दर्शन को इसी परिप्रेक्ष्य में देखना उचित प्रतीत होता है। - इसी पुस्तक से डॉ. आशुतोष दुबे पारम्परिक विचार तथा आधुनिक चिन्तन के मंजुल समन्वय के समर्थक हैं। इन्होंने 'समाजकार्य में भारतीय परम्परागत चिन्तन' विषय पर शोध कार्य किया है जो परम्परागत समाजकार्य के क्षेत्र में नितान्त मौलिक एवं श्लाघ्य कार्य के रूप में परिगणित किया जाता है।राज्य शिक्षा संस्थान, प्रयागराज में प्राचार्य के पद पर कार्य करते हुए इनके द्वारा शैक्षिक शोध-पत्रिका 'अधिगम' का सम्पादन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् के तत्त्वावधान में कई शोध कार्यों का निर्देशन इनके द्वारा किया गया है जिनमें उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जनपदों के विद्यार्थियों में जीवन-कौशलों को प्रोत्साहित करने वाले क्रियाकलापों और फतेहपुर तथा चित्रकूट के राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत किशोरवय के विद्यार्थियों के उग्र व्यवहारों के कारणों का अध्ययन उल्लेखनीय है।

9789387774834


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