Professor ki diary

Yadav, Lakshman

Professor ki diary - New Delhi Yuwan Books 2024 - 159p.

यह किताब डायरी, नोट्स और टिप्पणियों की शैली में अपने समय की तफ्तीश करती है। इसमें समाज और राजनीति की बड़ी परिघटनाएं हैं तो इसके बीच बनते हुए एक प्रबुद्ध नौजवान की कहानी भी है। यह आज़मगढ़ के पिछड़े किसान परिवार में पैदा होता है। इलाहाबाद और दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ायी करता है। दशक भर से ज़्यादा दिल्ली के एक कॉलेज में अध्यापन करता है। उसके कंधों पर गरीब परिवार की अपेक्षाओं और अपने सपनों का वज़न है। वह अकेला है। वह असमंजस, असुरक्षा और अनिश्चितता से घिरा हुआ है। वह डरा हुआ है। मगर वह किताबों को नौकरी पाने का जरिया नहीं बनाता, उनसे अपने समाज को समझने का नज़रिया हासिल करता है। सत्ताएँ उसे डराती हैं तो वह डरने की बजाय दुस्साहसी होता जाता है। धीरे-धीरे उसकी समझ, दायित्वबोध और लोकप्रियता का दायरा बढ़ता जाता है। वह क्लास के छात्रों से सुदूर ग्रामीण लोगों तक का प्रोफ़ेसर बन जाता है। यह फिक्शनल है, क्योंकि इसमें संज्ञाएँ बदल दी गयी हैं. यह नॉनफ़िक्शन है, क्योंकि शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति, सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियाँ रत्ती-रत्ती सही हैं। इसमें इसमें कथा, संवाद और सटायर है तो वक्तृता और विश्लेषण की चमक भी। इसमें वह सब है, जो एक पठनीय किताब में होना चाहिए।

9788119745531


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