Manush-gandh
Suryabala
Manush-gandh - New Delhi Vani 2022 - 168p.
लगभग दो दशकों से अनुपलब्ध रहा सूर्यबाला का यह कथा संग्रह उनकी आधी सदी की कथायात्रा का एक कोलाज कहा जा सकता है। अपनी जिस तरल संवेदना और विविधवर्णी रचनाशीलता के लिए सूर्यबाला की कहानियाँ जानी जाती हैं, उनका प्रभूत इस संग्रह में उपलब्ध है। रोज़मर्रा के आम जीवन के किस झरोखे से झाँक कर उनकी कलम विरल कथारस की सृष्टि कर देगी, इसकी अनूठी मिसाल उनकी क्रॉसिंग और तिलिस्म जैसी कहानियाँ हैं। एक तरफ वंचित और निरुपाय बैजनाथ की मर्मकथा भुक्खड़ की आलाद है तो दूसरी तरफ स्त्री-अस्मिता की अपनी अलग मिसाल पेश करती पूर्णाहुति... दंगों की ऊपरी भयावहता से भी कहीं ज़्यादा कमाल साहब की अपनी पहचान गँवा देने की वेबसी है (शहर की सबसे दर्दनाक खबर) तो देश की प्रतिभाओं के विदेशगमन वाले मसले पर होने वाले हाहाकारी क्रन्दन का जवाब वे अपने ही देश में हो रहे मेधावी युवाओं के निरंकुश दोहन का मार्मिक आख्यान मानुष-गन्ध रच कर देती हैं और इन सबसे ध्रुवान्त भिन्न, क्या मालूम जैसी कहानी... उनकी अबोध, अनछुई प्रेम कहानियों का एक परिचय-पत्र-सा थमाती, इस संग्रह में शामिल है। कुछ ऐसा लगता है जैसे लेखन में चलने वाले ट्रेंड, फैशन और गहमागहमियों से सूर्यबाला को परहेज-सा है। लेकिन इसका अर्थ, समय की तल्ख सच्चाइयों से मुकरना या उन्हें नकारना हर्गिज नहीं है। अपनी कहानियों के कैनवस पर, 'लाउड' और अतिमुखर रंग-रेखाओं के प्रयोग से भी बचती हैं वे। उनके पात्रों के विरोध और संघर्ष मात्र विध्वंसक न होकर विश्वसनीय और विवेकसम्मत होने पर ज्यादा जोर देते हैं। सिद्धान्तों, वादों और आन्दोलनों के ऊपरी घटाटोपों से भी बचती सूर्यबाला अपने कथ्य और शिल्प के पुराने प्रतिमानों को स्वयं ही तोड़ती और नये ढांचे गढ़ने में विश्वास करती हैं।
9789355181855
Collection of Stories- Hindi
Kahaniyan
H SUR
Manush-gandh - New Delhi Vani 2022 - 168p.
लगभग दो दशकों से अनुपलब्ध रहा सूर्यबाला का यह कथा संग्रह उनकी आधी सदी की कथायात्रा का एक कोलाज कहा जा सकता है। अपनी जिस तरल संवेदना और विविधवर्णी रचनाशीलता के लिए सूर्यबाला की कहानियाँ जानी जाती हैं, उनका प्रभूत इस संग्रह में उपलब्ध है। रोज़मर्रा के आम जीवन के किस झरोखे से झाँक कर उनकी कलम विरल कथारस की सृष्टि कर देगी, इसकी अनूठी मिसाल उनकी क्रॉसिंग और तिलिस्म जैसी कहानियाँ हैं। एक तरफ वंचित और निरुपाय बैजनाथ की मर्मकथा भुक्खड़ की आलाद है तो दूसरी तरफ स्त्री-अस्मिता की अपनी अलग मिसाल पेश करती पूर्णाहुति... दंगों की ऊपरी भयावहता से भी कहीं ज़्यादा कमाल साहब की अपनी पहचान गँवा देने की वेबसी है (शहर की सबसे दर्दनाक खबर) तो देश की प्रतिभाओं के विदेशगमन वाले मसले पर होने वाले हाहाकारी क्रन्दन का जवाब वे अपने ही देश में हो रहे मेधावी युवाओं के निरंकुश दोहन का मार्मिक आख्यान मानुष-गन्ध रच कर देती हैं और इन सबसे ध्रुवान्त भिन्न, क्या मालूम जैसी कहानी... उनकी अबोध, अनछुई प्रेम कहानियों का एक परिचय-पत्र-सा थमाती, इस संग्रह में शामिल है। कुछ ऐसा लगता है जैसे लेखन में चलने वाले ट्रेंड, फैशन और गहमागहमियों से सूर्यबाला को परहेज-सा है। लेकिन इसका अर्थ, समय की तल्ख सच्चाइयों से मुकरना या उन्हें नकारना हर्गिज नहीं है। अपनी कहानियों के कैनवस पर, 'लाउड' और अतिमुखर रंग-रेखाओं के प्रयोग से भी बचती हैं वे। उनके पात्रों के विरोध और संघर्ष मात्र विध्वंसक न होकर विश्वसनीय और विवेकसम्मत होने पर ज्यादा जोर देते हैं। सिद्धान्तों, वादों और आन्दोलनों के ऊपरी घटाटोपों से भी बचती सूर्यबाला अपने कथ्य और शिल्प के पुराने प्रतिमानों को स्वयं ही तोड़ती और नये ढांचे गढ़ने में विश्वास करती हैं।
9789355181855
Collection of Stories- Hindi
Kahaniyan
H SUR