Aandhi
Gulzar
Aandhi - Delhi Radhakrishna 2022 - 102p.
आँधी साहित्य में मंजरनामा एक मुकम्मिल फॉर्म है। यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रुकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ सके। लेकिन मंज़रनामा का अंदाजे-बयान अमूमन मूल रचना से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इन्टरप्रेटेशन हो जाता है। मंजरनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फॉर्म से रूबरू हो सकें और दूसरा यह कि टी. वी. और सिनेमा से दिलचस्पी रखने वाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंजश्रनामे की शक्ल दी जाती है। टी. वी. की आमद से मंज़रनामों की जरूरत में बहुत इजाफा हो गया है। कथाकार, शायर, गीतकार, पटकथाकार गुलजशर ने लीक से हटकर शरत्चन्द्र की-सी संवेदनात्मक मार्मिकता, सहानुभूति और करुणा से ओत-प्रोत कई उम्दा फिल्मों का निर्देशन किया जिनमें मेरे अपने, अचानक, परिचय, आँधी, मौसम, खुशबू, मीरा, किनारा, नमकीन, लेकिन, लिबास, और माचिस जैसी फिल्में शामिल हैं। अपने समय की बेहद चर्चित फिल्म ‘आँधी’ का यह मंजरनामा वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश्वर के उपन्यास ‘काली आँधी’ से कुछ अलग भी है और नहीं भी। फिल्म में किरदारों के एटिट्यूड उपन्यास से अलग हैं। इसमें राजनीति के छल-छद्मों से भरी कथावस्तु के बीच दो दिलों के प्रेम की अंतःसलिल धारा भी बह रही है जो पाठकोें की संवेदना को छू लेती है। यह पुस्तक पूरी फिल्म की एक तरह से औपन्यासिक प्रस्तुति है जो पाठकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।
9788183610049
Screenplay
JP 891.43 GUL
Aandhi - Delhi Radhakrishna 2022 - 102p.
आँधी साहित्य में मंजरनामा एक मुकम्मिल फॉर्म है। यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रुकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ सके। लेकिन मंज़रनामा का अंदाजे-बयान अमूमन मूल रचना से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इन्टरप्रेटेशन हो जाता है। मंजरनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फॉर्म से रूबरू हो सकें और दूसरा यह कि टी. वी. और सिनेमा से दिलचस्पी रखने वाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंजश्रनामे की शक्ल दी जाती है। टी. वी. की आमद से मंज़रनामों की जरूरत में बहुत इजाफा हो गया है। कथाकार, शायर, गीतकार, पटकथाकार गुलजशर ने लीक से हटकर शरत्चन्द्र की-सी संवेदनात्मक मार्मिकता, सहानुभूति और करुणा से ओत-प्रोत कई उम्दा फिल्मों का निर्देशन किया जिनमें मेरे अपने, अचानक, परिचय, आँधी, मौसम, खुशबू, मीरा, किनारा, नमकीन, लेकिन, लिबास, और माचिस जैसी फिल्में शामिल हैं। अपने समय की बेहद चर्चित फिल्म ‘आँधी’ का यह मंजरनामा वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश्वर के उपन्यास ‘काली आँधी’ से कुछ अलग भी है और नहीं भी। फिल्म में किरदारों के एटिट्यूड उपन्यास से अलग हैं। इसमें राजनीति के छल-छद्मों से भरी कथावस्तु के बीच दो दिलों के प्रेम की अंतःसलिल धारा भी बह रही है जो पाठकोें की संवेदना को छू लेती है। यह पुस्तक पूरी फिल्म की एक तरह से औपन्यासिक प्रस्तुति है जो पाठकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी।
9788183610049
Screenplay
JP 891.43 GUL