Amarkant ki sampoorna kahaniyan ( 2 Vol Set )
Amarkant
Amarkant ki sampoorna kahaniyan ( 2 Vol Set ) - 2nd ed. - New Delhi Bharatiya Jnanpith 2016 - 528; 535
अमरकान्त की सम्पूर्ण कहानियाँ भाग - अमरकान्त का रचनाकाल 1954 से लेकर आज तक है, उनकी क़लम न रुकी, न झुकी। उनके साथ के कई रचनाकार थक-चुक कर बैठ गये, कुछ निजी पत्रकारिता में चले गये तो कुछ मौन हो गये, किन्तु अमरकान्त ने अपनी निजी परेशानियों को कभी लेखन पर हावी नहीं होने दिया, उन्होंने हर हाल में लिखा। उन्होंने लेखन को जिजीविषा दी अथवा लेखन ने उन्हें, यह विचारणीय प्रश्न है। इस प्रसंग में अमरकान्त की रचनात्मकता की सहज सराहना करने का मन होता है कि उन्होंने समय समाज को संहारक या विदारक बनने की बजाय विचारक बनाया। अमरकान्त के लिए लेखन एक सामाजिक दायित्व है। वे मानते हैं कि लेखन समय और धैर्य की माँग करता हैं। उनकी शीर्ष कहानी पढ़ने पर प्रमाणित होगा कि आरम्भ से ही इस रचनाकार ने अप्रतिम सहजता के साथ-साथ सजगता से भी इन कहानियों की रचना की। 'डिप्टी कलक्टरी', 'दोपहर का भोजन', 'ज़िन्दगी और जोंक', 'हत्यारे', 'मौत का नगर', 'मूस', 'असमर्थ हिलता हाथ' बड़ी स्वाभाविक और जीवनोन्मुख कहानियाँ हैं। सहज सरल कलेवर में लिपटी ये कहानियाँ जीवन की घनघोर जटिलताएँ व्यक्त कर डालती हैं। अपने समग्र प्रभाव व प्रेषण में ये रचनाएँ हमें देर तक सोचने के लिए विवश कर देती हैं। दो खण्डों में प्रस्तुत एक हज़ार से अधिक पृष्ठों का यह संकलन रचनाकार अमरकान्त की कहानियों का सम्पूर्ण कोश है, जो उनके बृहद् कथा लेखन के सरोकारों और चिन्ताओं और दृष्टि को समझने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा।
9789326351997
Literature- Hindi; Short Stories; Jnanpith awarded author
H AMA V.1
Amarkant ki sampoorna kahaniyan ( 2 Vol Set ) - 2nd ed. - New Delhi Bharatiya Jnanpith 2016 - 528; 535
अमरकान्त की सम्पूर्ण कहानियाँ भाग - अमरकान्त का रचनाकाल 1954 से लेकर आज तक है, उनकी क़लम न रुकी, न झुकी। उनके साथ के कई रचनाकार थक-चुक कर बैठ गये, कुछ निजी पत्रकारिता में चले गये तो कुछ मौन हो गये, किन्तु अमरकान्त ने अपनी निजी परेशानियों को कभी लेखन पर हावी नहीं होने दिया, उन्होंने हर हाल में लिखा। उन्होंने लेखन को जिजीविषा दी अथवा लेखन ने उन्हें, यह विचारणीय प्रश्न है। इस प्रसंग में अमरकान्त की रचनात्मकता की सहज सराहना करने का मन होता है कि उन्होंने समय समाज को संहारक या विदारक बनने की बजाय विचारक बनाया। अमरकान्त के लिए लेखन एक सामाजिक दायित्व है। वे मानते हैं कि लेखन समय और धैर्य की माँग करता हैं। उनकी शीर्ष कहानी पढ़ने पर प्रमाणित होगा कि आरम्भ से ही इस रचनाकार ने अप्रतिम सहजता के साथ-साथ सजगता से भी इन कहानियों की रचना की। 'डिप्टी कलक्टरी', 'दोपहर का भोजन', 'ज़िन्दगी और जोंक', 'हत्यारे', 'मौत का नगर', 'मूस', 'असमर्थ हिलता हाथ' बड़ी स्वाभाविक और जीवनोन्मुख कहानियाँ हैं। सहज सरल कलेवर में लिपटी ये कहानियाँ जीवन की घनघोर जटिलताएँ व्यक्त कर डालती हैं। अपने समग्र प्रभाव व प्रेषण में ये रचनाएँ हमें देर तक सोचने के लिए विवश कर देती हैं। दो खण्डों में प्रस्तुत एक हज़ार से अधिक पृष्ठों का यह संकलन रचनाकार अमरकान्त की कहानियों का सम्पूर्ण कोश है, जो उनके बृहद् कथा लेखन के सरोकारों और चिन्ताओं और दृष्टि को समझने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगा।
9789326351997
Literature- Hindi; Short Stories; Jnanpith awarded author
H AMA V.1