Avismaraneey Europe

Chakraborty, Tapas

Avismaraneey Europe - Dehradun, Samaya Sakshaya 2019. - 154 p.

तापस चक्रवर्ती राहुल, अज्ञेय एवं नागार्जुन जैसे घुमक्कड़ों ने पैदल, नाव, गधे, घोड़े, खच्चर, बस, रेल पर यात्रा की और अनुभवों को लिखा। आज घूमने की अनेकों आरामदायक सुविधाएं उपलब्ध होने के कारण हजारों की संख्या में लोग घूमते हैं जिसे "पैकेज टूर" कहते हैं, जिसमें आपका उठना, बैठना, खाना, रहना सब निश्चित रहता है। पर कितने लोग हैं जो इसे लेखनी में उतारते हैं? समयाभाव के कारण लेखक को बहुत कुछ छोड़ना भी पड़ा। नौ दिन के भ्रमण में इतना लिखना, इतने फोटो लेना, वाकई में बहुत ही सराहनीय प्रयास है।

इसमें फ्रांस एवं भारत में पाँडिचेरी के इतिहास से लेखक ने अवगत कराया। पाँडिचेरी फ्रांसिसी नागरिकता वाला प्रदेश है। ब्लैक फॉरेस्ट में कुक्कू घड़ी के निर्माण के बारे में बताया कि कैसे वहाँ के किसानों ने कुक्कू घड़ी बनाई और उसका प्रचार कैसे हुआ। लेखक ने यादगार के तौर पर स्वयं भी कुक्कू घड़ी खरीदी। वैसे तो हैदराबाद के सालारजंग म्यूज़ियम में भी एक कुक्कू घड़ी है जिसे दूर-दूर से लोग देखने आते हैं।

तापस ने लिखा कि कई राजाओं को कहीं दफनाया गया। बाद में उनके ताबूत को उठाकर कहीं दूसरी जगह लाया गया। मुझे याद है फ़िनलैंड में मेरी एक छात्रा कहती थी यूरोप में मरने के बाद भी उनको शांति से नहीं 5-29-7 रहने देते हैं। भारत में ऐसा नहीं होता इसलिए उसे भारत पसंद है।

इस पुस्तक के माध्यम से विदेश यात्रा करने वालों को सहायता मिलेगी। तापस जहाँ-जहाँ भी गए, उन्होंने वहाँ की सभ्यता, संस्कृति एवं सुन्दरता से परिचय करवाया। स्थापत्य एवं वास्तुकला पर भी उनकी दृष्टि चक्रवर्ती। बनी रही। एक बार खाली समय में उन्होंने चित्र देखकर तारों से एक टावर बनाया और माँ को दिखाया। माँ ने पूछा तो बताया कि यह "एफिल टावर है। शायद माँ को कुछ भी समझ में नहीं आया हो क्योंकि उनका विश्व भ्रमण तो देहरादून एवं बंगाल के सिवाय दूसरा कुछ न था। आज वे उस टावर को देखकर, छूकर, पकड़कर, दूसरी मंजिल चढ़कर वापिस आये हैं, शायद अनजाने में छिपी उनकी आकांक्षा ने वास्तविकता का रूप लिया है।

978-93-88165-29-7


Europe

H 914 CHA

Powered by Koha