Aasman se aage
Kuswaha, Ramendra
Aasman se aage - Dehradun Samay sakshay 2021 - 146 p.
प्रस्तुत कहानी संग्रह ' आसमां से आगे' की समस्त कहानियों में निष्ठुर समाज की भोगवादी प्रवृत्ति तथा बदलते परिवेश में दरकते रिश्तों के यर्थाथ को सामने लाने का प्रयास किया गया है। हमारे आंसू यूं ही नहीं निकला करते। सदियों से समाज में बहुसंख्यक शोषित एवं मुट्ठी भर लोग शोषक की भूमिका में रहते आए हैं।
दृश्य-अदृश्य अत्याचार ही हमारी दुर्दशा का कारण बने हुए हैं। मेरी सारी कहानियों में हमारे आँसुओं के सौदागर यही शोषक वर्ग है जो हमें मूलभूत सुविधाओं से वंचित करते हुए सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार से वंचित करता है। यह स्थिति घर के भीतर-बाहर सर्वत्र परिलक्षित होती है।
9789390743131
Fiction
H KUS R
Aasman se aage - Dehradun Samay sakshay 2021 - 146 p.
प्रस्तुत कहानी संग्रह ' आसमां से आगे' की समस्त कहानियों में निष्ठुर समाज की भोगवादी प्रवृत्ति तथा बदलते परिवेश में दरकते रिश्तों के यर्थाथ को सामने लाने का प्रयास किया गया है। हमारे आंसू यूं ही नहीं निकला करते। सदियों से समाज में बहुसंख्यक शोषित एवं मुट्ठी भर लोग शोषक की भूमिका में रहते आए हैं।
दृश्य-अदृश्य अत्याचार ही हमारी दुर्दशा का कारण बने हुए हैं। मेरी सारी कहानियों में हमारे आँसुओं के सौदागर यही शोषक वर्ग है जो हमें मूलभूत सुविधाओं से वंचित करते हुए सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार से वंचित करता है। यह स्थिति घर के भीतर-बाहर सर्वत्र परिलक्षित होती है।
9789390743131
Fiction
H KUS R