Ghera: katha sangrah

Bhatt, Manoj

Ghera: katha sangrah - Dehradun Samay sakshay 2020 - 100 p.

वर्तमान दौर मा घेरा कु स्वरूप भी बदलेगी, बचपन मा व्वै बाप हमतें घिरादां छा, कबरी खेल्युं मा दगड्या • घिरादां छा त कबरी हम गोरु तँ घिरादां छा कबरी कबरी त जंगळ मा जंगळी जानवरों त वि घिरादां छा, पर आज कथगा हि तरों का घेरा छन, कुछ लोग कैक घेरा मा छन त कुछ लोग अपड़ा हि घेरा मा घिरयां छन, मि बोलु कि वू अपड़ा हि घेरा मा फस्यां छन, कवारी त पता वि नि चलदु कि हम जाण बुझी बिना सोच्यां समझयां के घेरा मा घरै ग्यां अब सुख चैन छोड़ी तै वै घेरा बिटी निकळणा जतन मा लग्यां छा । इन्नी घेरा हमारी भाषा गढ़वळि दगिड़ बिच, ज्वा आठवीं अनुसूची मा आण से पैलि कधगै घेरों मा धिरेगी।

9789388165778


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