Duniya ghumte hue
Saklaani, Hemchandr
Duniya ghumte hue - Dehradun Samay sakshya 2016. - 91 p.
लेखक, साहित्यकार, कवि यदि ईमानदारी के साथ अपने स्पर्श, अपने अनुभवों को बिना किसी पक्षपात के सच्चाई के साथ अभिव्यक्त नहीं करता है, तो वह सच्चा लेखक, कवि, साहित्यकार हो ही नहीं सकता और न ही समाज का सही मार्ग दर्शन कर सकता है। जो कुछ स्पर्श हुआ, अनुभव किया, जो कुछ भी अच्छा-बुरा देखा, महसूस किया उसे उसी तरह व्यक्त करना सच्चा साहित्य होता है।
अनेक प्राचीन साहित्यिक ग्रन्थों में तत्कालीन लेखकों ने इस प्रवृति का भली भांति पालन किया। अपने देश के विभिन्न स्थानों की यात्राओं में और विदेशों की यात्राओं में बहुत कुछ कटु अनुभवों से और कुछ खूबसूरत से मुझे गुजरना पड़ा, उनको ईमानदारी के साथ रेखांकित करने का मेरा प्रयास रहा। हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और दूसरों से हमें सीखना भी चाहिए न कि ईर्ष्या करनी चाहिए। अधिकतर साहित्य घर बैठकर रचा जाता है लेकिन यात्रा साहित्य तो बिना स्वयं यात्रा पर गए नहीं लिखा जा सकता। उन स्थानों का अध्ययन भी करना पड़ता है, क्या सही है, क्या गलत इसका भी अध् ययन करना पड़ता है। यात्रा साहित्य बिना श्रम के व्यय के बिना अध्ययन के नहीं लिखा जा सकता। जब यह साहित्य के रूप में, एक पुस्तक के रूप में सामने आता है तो एक सुंदर शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक साहित्य के साथ अनुभवों का पिटारा हो जाता है, जो संकटों का सामना करना भी सिखाता है।
जीवन यदि यात्रामय न हो, तो जीवन का कुछ अर्थ नहीं रह जाता। इसलिए यात्राओं को घूमने-फिरने, मनोरंजन का अवसर मानने तक सीमित कर देना सही नहीं माना जा सकता। जीवन पर्यटनशील न हो तो जीवन कुएं के मेढ़क के समान हो जाता है। विश्व के अनेक देशों ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रकृति ने सुंदरता से भरपूर अपने ऐतिहासिक स्थलों को बहुत आकर्षक और सुंदर बनाया है जिससे यात्रियों का उन देशों के प्रति आकर्षण तो बढ़ा ही है साथ ही उनकी आर्थिक व्यवस्था भी मजबूत हुई है। यात्राएं जीवन का महत्वपूर्ण, रोमांचक, मनोरंजन, ज्ञान प्राप्त करने का स्रोत भी है। शेक्सपियर ने एक स्थान पर कहा भी है, यदि मन आपका उदविग्न है तो उसे शान्त और प्रफुल्लित करने के लिए यात्राओं पर निकल जाइये। कल्पना कीजिए कि सूरज, चाँद, सितारे, मौसम, पशु-पक्षी और मानव जीवन यदि यात्रामय न होता तो पृथ्वी की क्या स्थिति होती। पृथ्वी और पृथ्वी पर स्थित जीवन इसीलिये सुन्दर है कि यहाँ जीवन, प्रकृति सब कुछ गतिमान है, चलायमान है, यात्रामय है।
9788186810412
Hemchndra Saklaani
H 910 SAK
Duniya ghumte hue - Dehradun Samay sakshya 2016. - 91 p.
लेखक, साहित्यकार, कवि यदि ईमानदारी के साथ अपने स्पर्श, अपने अनुभवों को बिना किसी पक्षपात के सच्चाई के साथ अभिव्यक्त नहीं करता है, तो वह सच्चा लेखक, कवि, साहित्यकार हो ही नहीं सकता और न ही समाज का सही मार्ग दर्शन कर सकता है। जो कुछ स्पर्श हुआ, अनुभव किया, जो कुछ भी अच्छा-बुरा देखा, महसूस किया उसे उसी तरह व्यक्त करना सच्चा साहित्य होता है।
अनेक प्राचीन साहित्यिक ग्रन्थों में तत्कालीन लेखकों ने इस प्रवृति का भली भांति पालन किया। अपने देश के विभिन्न स्थानों की यात्राओं में और विदेशों की यात्राओं में बहुत कुछ कटु अनुभवों से और कुछ खूबसूरत से मुझे गुजरना पड़ा, उनको ईमानदारी के साथ रेखांकित करने का मेरा प्रयास रहा। हम बहुत कुछ सीख सकते हैं और दूसरों से हमें सीखना भी चाहिए न कि ईर्ष्या करनी चाहिए। अधिकतर साहित्य घर बैठकर रचा जाता है लेकिन यात्रा साहित्य तो बिना स्वयं यात्रा पर गए नहीं लिखा जा सकता। उन स्थानों का अध्ययन भी करना पड़ता है, क्या सही है, क्या गलत इसका भी अध् ययन करना पड़ता है। यात्रा साहित्य बिना श्रम के व्यय के बिना अध्ययन के नहीं लिखा जा सकता। जब यह साहित्य के रूप में, एक पुस्तक के रूप में सामने आता है तो एक सुंदर शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक साहित्य के साथ अनुभवों का पिटारा हो जाता है, जो संकटों का सामना करना भी सिखाता है।
जीवन यदि यात्रामय न हो, तो जीवन का कुछ अर्थ नहीं रह जाता। इसलिए यात्राओं को घूमने-फिरने, मनोरंजन का अवसर मानने तक सीमित कर देना सही नहीं माना जा सकता। जीवन पर्यटनशील न हो तो जीवन कुएं के मेढ़क के समान हो जाता है। विश्व के अनेक देशों ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्रकृति ने सुंदरता से भरपूर अपने ऐतिहासिक स्थलों को बहुत आकर्षक और सुंदर बनाया है जिससे यात्रियों का उन देशों के प्रति आकर्षण तो बढ़ा ही है साथ ही उनकी आर्थिक व्यवस्था भी मजबूत हुई है। यात्राएं जीवन का महत्वपूर्ण, रोमांचक, मनोरंजन, ज्ञान प्राप्त करने का स्रोत भी है। शेक्सपियर ने एक स्थान पर कहा भी है, यदि मन आपका उदविग्न है तो उसे शान्त और प्रफुल्लित करने के लिए यात्राओं पर निकल जाइये। कल्पना कीजिए कि सूरज, चाँद, सितारे, मौसम, पशु-पक्षी और मानव जीवन यदि यात्रामय न होता तो पृथ्वी की क्या स्थिति होती। पृथ्वी और पृथ्वी पर स्थित जीवन इसीलिये सुन्दर है कि यहाँ जीवन, प्रकृति सब कुछ गतिमान है, चलायमान है, यात्रामय है।
9788186810412
Hemchndra Saklaani
H 910 SAK