Ameer Khusro
Toki, Rajendra
Ameer Khusro - Noida, Setu prakeshan 2021. - 150 p.
भारतीय काव्य-परम्परा और ज्ञानात्मक सन्दर्भ के विशिष्ट स्तम्भों में एक हैं अमीर खुसरो। उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि माना जाता है। वे गंगा जमुनी तहज़ीब के पैरोकारों में एक थे, अनेक ज्ञानानुशासनों में सक्रिय थे। उनकी अभिव्यक्ति के अनेक काव्य-रूप थे- पहेलियाँ, मुकरियाँ, सुख़ने, गीत, ग़ज़ल, क़व्वाली, दोहे आदि । ख़ालिक़बारी के रूप में इन्होंने कोश की रचना की।
अमीर ख़ुसरो के बारे में अतिसंक्षिप्त जानकारियाँ इतिहास ग्रन्थों में मिलती हैं, नाम तो प्रायः सभी जानते हैं। इसके बावजूद अमीर ख़ुसरो के प्रसंग में कोई ठोस और मुक़म्मल जानकारी साहित्य के अध्येताओं को या हिन्दी जनमानस को शायद ही है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं। एक तो आदिकाल का कवि और उसमें भी उसकी रचनाशीलता का बड़ा हिस्सा हिन्दीतर भाषा थी। हिन्दी के अलावा उन्होंने फारसी में विपुल लिखा। प्रस्तुत पुस्तक अमीर ख़ुसरो के सन्दर्भ में न सिर्फ़ प्रामाणिक और सारगर्भित जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करती है, अपितु उनके ऐतिहासिक महत्त्व को भी रेखांकित करती है। साथ ही उनके काव्य-वैभव को उद्घाटित भी करती है।
9789391277109
Ameer Khusro
H 891.431 TOK
Ameer Khusro - Noida, Setu prakeshan 2021. - 150 p.
भारतीय काव्य-परम्परा और ज्ञानात्मक सन्दर्भ के विशिष्ट स्तम्भों में एक हैं अमीर खुसरो। उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि माना जाता है। वे गंगा जमुनी तहज़ीब के पैरोकारों में एक थे, अनेक ज्ञानानुशासनों में सक्रिय थे। उनकी अभिव्यक्ति के अनेक काव्य-रूप थे- पहेलियाँ, मुकरियाँ, सुख़ने, गीत, ग़ज़ल, क़व्वाली, दोहे आदि । ख़ालिक़बारी के रूप में इन्होंने कोश की रचना की।
अमीर ख़ुसरो के बारे में अतिसंक्षिप्त जानकारियाँ इतिहास ग्रन्थों में मिलती हैं, नाम तो प्रायः सभी जानते हैं। इसके बावजूद अमीर ख़ुसरो के प्रसंग में कोई ठोस और मुक़म्मल जानकारी साहित्य के अध्येताओं को या हिन्दी जनमानस को शायद ही है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं। एक तो आदिकाल का कवि और उसमें भी उसकी रचनाशीलता का बड़ा हिस्सा हिन्दीतर भाषा थी। हिन्दी के अलावा उन्होंने फारसी में विपुल लिखा। प्रस्तुत पुस्तक अमीर ख़ुसरो के सन्दर्भ में न सिर्फ़ प्रामाणिक और सारगर्भित जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करती है, अपितु उनके ऐतिहासिक महत्त्व को भी रेखांकित करती है। साथ ही उनके काव्य-वैभव को उद्घाटित भी करती है।
9789391277109
Ameer Khusro
H 891.431 TOK