Mukhya samajshastriya vicharak : ek samiksha
Saxena, Vijay Laxmi
Mukhya samajshastriya vicharak : ek samiksha - New Delhi Atlantic 2022. - 216 p.
समाजशास्त्र अनिवार्य रूप से सभी जटिलताओं के साथ समाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। समाजशास्त्रीय कल्पना का उपयोग हमें धारणाओं से आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है, वस्तुतः यह हमारे अपने अनुभवों एवं व्यवहारिक सामाजिक जीवन के बारे में पूरी परिचर्चा है। समाजशास्त्र, प्रमुख 'शास्त्रीय' विचारकों के एक व्यवस्थित चिन्तन-रूपी तोप पर निर्भर रहता है और अपनी उत्पत्ति को यूरोपीय जुड़वा क्रांतियों से जोड़ता है। समाजशास्त्र, समाज का एक वैज्ञानिक अध्ययन है एवं एक विशिष्ट समाजशास्त्रीय अध्ययन अनेक उपयोगिता प्रदान करता है--उदाहरणार्थ, तुलनात्मक दृष्टिकोण; इच्छित और अनपेक्षित परिणामों के प्रति संवेदनशीलता; प्रभावी नीति के गठन के निर्माण में योगदान; तथा सामाजिक संबंधों के मुद्दों से जुड़े कई पेशेवर उपजीविका के लिए दक्षतापूर्ण जनशक्ति प्रदान करती है। इसमें कोई शक नहीं कि कॉम्टे, मार्क्स, वेबर, दुर्खीम और अन्य अग्रणी विचारकों के बिना समाजशास्त्र संभव अधूरा है। वर्तमान कार्य का शीर्षक 'मुख्य समाजशास्त्रीय विचारकः एक समीक्षा', व्यवस्थित एवं विशेष रूप से समाजशास्त्र की उत्पत्ति और विकास परिलक्षित करता है। निःसन्देह यह कार्य विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के B.A. तथा M.A. डिग्री पाठ्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के अध्ययन के साथ-साथ, सिविल सेवा, यूजीसी नेट आदि परीक्षा में छात्रें की तैयारी की आवश्यकताओं को पूरा करती है। अतः यह पुस्तक नवोदित स्नातक, स्नातकोत्तर और प्रतियोगी छात्रें के लिए अपरिहार्य पुस्तक के रूप में प्रस्तावित की जा सकती है।
9788126933327
Samajshastriya
Vicharak
H 301.0922 SAX
Mukhya samajshastriya vicharak : ek samiksha - New Delhi Atlantic 2022. - 216 p.
समाजशास्त्र अनिवार्य रूप से सभी जटिलताओं के साथ समाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। समाजशास्त्रीय कल्पना का उपयोग हमें धारणाओं से आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है, वस्तुतः यह हमारे अपने अनुभवों एवं व्यवहारिक सामाजिक जीवन के बारे में पूरी परिचर्चा है। समाजशास्त्र, प्रमुख 'शास्त्रीय' विचारकों के एक व्यवस्थित चिन्तन-रूपी तोप पर निर्भर रहता है और अपनी उत्पत्ति को यूरोपीय जुड़वा क्रांतियों से जोड़ता है। समाजशास्त्र, समाज का एक वैज्ञानिक अध्ययन है एवं एक विशिष्ट समाजशास्त्रीय अध्ययन अनेक उपयोगिता प्रदान करता है--उदाहरणार्थ, तुलनात्मक दृष्टिकोण; इच्छित और अनपेक्षित परिणामों के प्रति संवेदनशीलता; प्रभावी नीति के गठन के निर्माण में योगदान; तथा सामाजिक संबंधों के मुद्दों से जुड़े कई पेशेवर उपजीविका के लिए दक्षतापूर्ण जनशक्ति प्रदान करती है। इसमें कोई शक नहीं कि कॉम्टे, मार्क्स, वेबर, दुर्खीम और अन्य अग्रणी विचारकों के बिना समाजशास्त्र संभव अधूरा है। वर्तमान कार्य का शीर्षक 'मुख्य समाजशास्त्रीय विचारकः एक समीक्षा', व्यवस्थित एवं विशेष रूप से समाजशास्त्र की उत्पत्ति और विकास परिलक्षित करता है। निःसन्देह यह कार्य विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के B.A. तथा M.A. डिग्री पाठ्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के अध्ययन के साथ-साथ, सिविल सेवा, यूजीसी नेट आदि परीक्षा में छात्रें की तैयारी की आवश्यकताओं को पूरा करती है। अतः यह पुस्तक नवोदित स्नातक, स्नातकोत्तर और प्रतियोगी छात्रें के लिए अपरिहार्य पुस्तक के रूप में प्रस्तावित की जा सकती है।
9788126933327
Samajshastriya
Vicharak
H 301.0922 SAX