Band kothari ka darwaja /
Sharma , Rashmi
Band kothari ka darwaja / by Rashmi Sharma - Delhi Setu prakashan 2022. - 200 p.
पिछले पाँच वर्षों में जिन कुछ नये कहानीकारों ने अपनी कहानियों से एक पहचान बनायी है, उनमें रश्मि शर्मा प्रमुख हैं। रश्मि शर्मा का ध्यान बदलते समय और यथार्थ के साथ परिवेश पर भी है। तीन कविता-संग्रहों के प्रकाशन के बाद बारह कहानियों का यह संग्रह इस अर्थ में विशिष्ट है कि यहाँ अनावश्यक डिटेल्स और वर्णन-विस्तार नहीं हैं। अपने कवि एवं संवेदनशील मन के साथ वे आस-पड़ोस, विभिन्न स्थानों-स्थलों, गाँवों में जड़ जमाये रूढ़ियों- अन्धविश्वासों, डायन-प्रथा, झरिया की कोयला-खदानों, समाचार पत्रों की झूठी खबरों, भूमि अधिग्रहण, पुलिस फायरिंग के साथ साथ संस्कृत पढ़ने वाली नसरीन और 'गे' सबको देखती-समझती हैं। बाह्य यथार्थ के साथ ही इन कहानियों में कई पात्रों के अन्त: संसार को उद्घाटित कर वे एक प्रकार के रचनात्मक सन्तुलन का निर्वाह करती हैं। भाव-संसार एवं वस्तु-संसार के साथ कई कहानियों में ज्ञान-संसार की कुछ झलकें भी हैं। स्त्री पात्रों की अधिकता है, पर वे किसी एक स्थान, वर्ग और समुदाय की नहीं हैं। प्रेम, दाम्पत्य, घर-परिवार, कोर्ट-कचहरी, अपहरण के साथ 'गंगा-लहरी' और पण्डितराज जगन्नाथ भी उनके यहाँ हैं। इन कहानियों में विचार प्रकट रूप में व्यक्त नहीं है। समय की पहचान कहानीकार को है। छह महीने की बच्ची भी सुरक्षित नहीं', 'आजकल लोग जानवरों से भी ज्यादा हिंसक और बनैले हो गये हैं' (हादसा) 'शताब्दियाँ बदल गयीं, मगर क्या अब भी प्रेमियों की राह आसान हुई है' (महाश्मशान में राग-विराग) सामाजिक यथार्थ अनुभव के प्रमाण हैं। रश्मि शर्मा में एक चेहरे के भीतर कई-कई चेहरों को देखने-समझने की परिपक्वता है। पति-पत्नी, प्रेमी प्रेमिका, भाई-बहन, स्वी-स्वी, पिता-पुत्र, सास-बहू चाची भतीजी जैसे सम्बन्धों से कहानियों के पारिवारिक होने का एक भ्रम है पर एकई स्तरों, रंगों और आशयों की कहानियाँ हैं। जीवनोन्मुखता, यथार्थोन्मुखता से कहीं भी रश्मि अलग नहीं होतीं। कहानियाँ घटनाविहीन हैं, पर इस समय के कई मुद्दे और सवाल भी हैं। 'मनिका का सच' कहानी में शिक्षा का महत्त्व है। स्कूल टीचर सुमिता मनिका का साथ देती हैं, पर शकुन बुआ नहीं। कई कहानियों में स्त्री ही स्त्री की विरोधी है। स्त्री की स्वतन्त्रता और अधिकार की लड़ाई की रश्मि पक्षधर हैं। 'पिण्डदान' पर लिखी गयी हिन्दी कहानियों में निर्वसन का उल्लेख आवश्यक है जिसमें राम अपने पिता दशरथ का पिण्डदान नहीं कर पाते और यह सीता के द्वारा सम्पन्न होता है। एक पौराणिक पात्र का यह रूपान्तरण कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। 'गे' पर लिखी गयी हिन्दी कहानियों में 'बन्द कोठरी का दरवाजा' की चर्चा अब जरूरी होगी।
संग्रह की कहानियाँ भिन्न जीवन-स्थितियों एवं भिन्न मनःस्थितियों की कहानियाँ हैं। मध्यवर्ग, मजदूर वर्ग, निम्न वर्ग, सामन्त वर्ग, हिन्दू परिवार, मुस्लिम परिवार सब हैं इन कहानियों में। कहानीकार की आँख झरिया के नीचे की आग के साथ-साथ आँखों की आग को भी देखती है। कहानीकार को 'आग' से अधिक 'जल' प्रिय है-जल, जो जीवन है। बाहर की आवाज के साथ इन कहानियों में पानी, देह और अन्तर्मन की आवाजें भी हैं। यथार्थ दृष्टि के साथ एक प्रकार की चिन्तन-दृष्टि भी है-' विकर्षण में भी कहीं आकर्षण होता है और 'साथ रहते हुए भी साथ छूट जाता है' (महाश्मशान में राग-विराग) भूमि अधिग्रहण, बदला हुआ कश्मीर, बाल मन, भाइयों से अपना हक लेती कोयलिया जैसी विरोधी पात्र इन कहानियों में हैं। केवल यथार्थ के चित्र वर्जन नहीं हैं। कहानीकार यथार्थ रचने की प्रक्रिया में भी है। चन्द कोठरियों के दरवाजे खुल रहे हैं। रश्मि शर्मा के पहले कहानी संग्रह का स्वागत किया जाना चाहिए।
9789391277260
Fiction
H SHA R
Band kothari ka darwaja / by Rashmi Sharma - Delhi Setu prakashan 2022. - 200 p.
पिछले पाँच वर्षों में जिन कुछ नये कहानीकारों ने अपनी कहानियों से एक पहचान बनायी है, उनमें रश्मि शर्मा प्रमुख हैं। रश्मि शर्मा का ध्यान बदलते समय और यथार्थ के साथ परिवेश पर भी है। तीन कविता-संग्रहों के प्रकाशन के बाद बारह कहानियों का यह संग्रह इस अर्थ में विशिष्ट है कि यहाँ अनावश्यक डिटेल्स और वर्णन-विस्तार नहीं हैं। अपने कवि एवं संवेदनशील मन के साथ वे आस-पड़ोस, विभिन्न स्थानों-स्थलों, गाँवों में जड़ जमाये रूढ़ियों- अन्धविश्वासों, डायन-प्रथा, झरिया की कोयला-खदानों, समाचार पत्रों की झूठी खबरों, भूमि अधिग्रहण, पुलिस फायरिंग के साथ साथ संस्कृत पढ़ने वाली नसरीन और 'गे' सबको देखती-समझती हैं। बाह्य यथार्थ के साथ ही इन कहानियों में कई पात्रों के अन्त: संसार को उद्घाटित कर वे एक प्रकार के रचनात्मक सन्तुलन का निर्वाह करती हैं। भाव-संसार एवं वस्तु-संसार के साथ कई कहानियों में ज्ञान-संसार की कुछ झलकें भी हैं। स्त्री पात्रों की अधिकता है, पर वे किसी एक स्थान, वर्ग और समुदाय की नहीं हैं। प्रेम, दाम्पत्य, घर-परिवार, कोर्ट-कचहरी, अपहरण के साथ 'गंगा-लहरी' और पण्डितराज जगन्नाथ भी उनके यहाँ हैं। इन कहानियों में विचार प्रकट रूप में व्यक्त नहीं है। समय की पहचान कहानीकार को है। छह महीने की बच्ची भी सुरक्षित नहीं', 'आजकल लोग जानवरों से भी ज्यादा हिंसक और बनैले हो गये हैं' (हादसा) 'शताब्दियाँ बदल गयीं, मगर क्या अब भी प्रेमियों की राह आसान हुई है' (महाश्मशान में राग-विराग) सामाजिक यथार्थ अनुभव के प्रमाण हैं। रश्मि शर्मा में एक चेहरे के भीतर कई-कई चेहरों को देखने-समझने की परिपक्वता है। पति-पत्नी, प्रेमी प्रेमिका, भाई-बहन, स्वी-स्वी, पिता-पुत्र, सास-बहू चाची भतीजी जैसे सम्बन्धों से कहानियों के पारिवारिक होने का एक भ्रम है पर एकई स्तरों, रंगों और आशयों की कहानियाँ हैं। जीवनोन्मुखता, यथार्थोन्मुखता से कहीं भी रश्मि अलग नहीं होतीं। कहानियाँ घटनाविहीन हैं, पर इस समय के कई मुद्दे और सवाल भी हैं। 'मनिका का सच' कहानी में शिक्षा का महत्त्व है। स्कूल टीचर सुमिता मनिका का साथ देती हैं, पर शकुन बुआ नहीं। कई कहानियों में स्त्री ही स्त्री की विरोधी है। स्त्री की स्वतन्त्रता और अधिकार की लड़ाई की रश्मि पक्षधर हैं। 'पिण्डदान' पर लिखी गयी हिन्दी कहानियों में निर्वसन का उल्लेख आवश्यक है जिसमें राम अपने पिता दशरथ का पिण्डदान नहीं कर पाते और यह सीता के द्वारा सम्पन्न होता है। एक पौराणिक पात्र का यह रूपान्तरण कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। 'गे' पर लिखी गयी हिन्दी कहानियों में 'बन्द कोठरी का दरवाजा' की चर्चा अब जरूरी होगी।
संग्रह की कहानियाँ भिन्न जीवन-स्थितियों एवं भिन्न मनःस्थितियों की कहानियाँ हैं। मध्यवर्ग, मजदूर वर्ग, निम्न वर्ग, सामन्त वर्ग, हिन्दू परिवार, मुस्लिम परिवार सब हैं इन कहानियों में। कहानीकार की आँख झरिया के नीचे की आग के साथ-साथ आँखों की आग को भी देखती है। कहानीकार को 'आग' से अधिक 'जल' प्रिय है-जल, जो जीवन है। बाहर की आवाज के साथ इन कहानियों में पानी, देह और अन्तर्मन की आवाजें भी हैं। यथार्थ दृष्टि के साथ एक प्रकार की चिन्तन-दृष्टि भी है-' विकर्षण में भी कहीं आकर्षण होता है और 'साथ रहते हुए भी साथ छूट जाता है' (महाश्मशान में राग-विराग) भूमि अधिग्रहण, बदला हुआ कश्मीर, बाल मन, भाइयों से अपना हक लेती कोयलिया जैसी विरोधी पात्र इन कहानियों में हैं। केवल यथार्थ के चित्र वर्जन नहीं हैं। कहानीकार यथार्थ रचने की प्रक्रिया में भी है। चन्द कोठरियों के दरवाजे खुल रहे हैं। रश्मि शर्मा के पहले कहानी संग्रह का स्वागत किया जाना चाहिए।
9789391277260
Fiction
H SHA R