Dhwani-vigyan

Dhal, Golok Bihari

Dhwani-vigyan - 2nd ed. - Patna Bihar Hindi Grantha Academy 1984 - 313 p.

इस पुस्तक में विषय को स्पष्ट करने के लिए आई० पी० ए० प्रणाली में प्रस्तुत संकेतों को अपनाया गया है। इसके कई कारण है। ध्वनि विज्ञान-संबंधी जितनी भारतीयेतर पुस्तकें उपलब्ध हैं तथा जिनसे ध्वनि विज्ञान के विद्यार्थी वैज्ञानिक अध्ययन में लाभ उठा सकते हैं, उनमें से अधिकांश में अंतरराष्ट्रीय निगमाना ( आई० पी० ए० ) के संकेतों का प्रयोग किया गया है। भारत में आधुनिक पनि विज्ञान के अध्ययन का अभी प्रारंभिक रूप है, और वह अधिक समृद्धि की अपेक्षा रखता है। इसलिए विद्यार्थियों के अध्ययन एवं सुविधा की दृष्टि से मैंने इस प्रणाली को अपनाया है। इसके अतिरिक्त हिंदी में जितने लिपि-संकेत है, उनमें से कुछ विवादग्रस्त है। अभी तक हिंदी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई अंतिम एवं प्रामाणिक चार्ट नहीं बना है, जिसे हम स्वीकार कर सके। मैंने हिंदी के चार्टको आई० पी० ए० के समानांतर रखने की चेष्टा की है किन्तु उसमें परिवर्तन होने की संभावना है। आई० पी० ए० चा का एक हिंदी-संस्करण आगे दिया गया है। इस चार्ट को प्रामाणिक बनाने के लिए मैं भाषाविदों के बहुमूल्य सुझावों का स्वागत करूंगा ताकि आगामी संस्करण में परिवर्तन एवं परिवर्धन कर उन संकेतों को उपयोग में ला सकू।

H 414 DHA

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