Manobhasha vikas
Shastri, Sitaram
Manobhasha vikas - Agra Kendriya Hindi Sansthan 1988 - 263 p.
प्रस्तुत पुस्तक एक शोधपूर्ण प्रयास का परिणाम है। विषय की विविधता तथा विशदता को देखते हुए वह स्वाभाविक है कि पुस्तक को अंतिम रूप देने में काफी समय लगा । अपेक्षाकृत कम अवधि में यह पुस्तक पूरी हो गई थी, लेकिन इस बीच संस्थान के निदेशक प्रो. बाल गोविन्द मिश्र की प्रेरणा का ही नतीजा है कि समीक्षकों की टिप्पणियों के अनुरूप अनेक परिवर्तन तथा परिवर्धन के साथ पुस्तक को अद्यतन बनाया गया। डॉ. मिश्र के सत्परामर्श से प्रेरित होकर ही हमने भाषा विकास के संदर्भ में बोधन तथा अर्थ का विकास और भाषेतर संप्रेषण के विकास के प्रसंग पुस्तक में जोड़े, भाषा अर्जन प्रक्रिया में सार्वभौम तत्वों, भाषा अधिगम की प्रक्रिया के नूतन आयामों तथा भाषा अर्जन / अधिगम में व्याघात और त्रुटि विश्लेषण को समाविष्ट करके पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास भी किया। एक निजी प्रवास में इस प्रकार के प्रोत्साहन के लिए हम डॉ मित्र के प्रति कृतज्ञ हैं और उन्हें हार्दिक धन्यवाद देते हैं।
Bhasha Vigyan
H 410 SHA
Manobhasha vikas - Agra Kendriya Hindi Sansthan 1988 - 263 p.
प्रस्तुत पुस्तक एक शोधपूर्ण प्रयास का परिणाम है। विषय की विविधता तथा विशदता को देखते हुए वह स्वाभाविक है कि पुस्तक को अंतिम रूप देने में काफी समय लगा । अपेक्षाकृत कम अवधि में यह पुस्तक पूरी हो गई थी, लेकिन इस बीच संस्थान के निदेशक प्रो. बाल गोविन्द मिश्र की प्रेरणा का ही नतीजा है कि समीक्षकों की टिप्पणियों के अनुरूप अनेक परिवर्तन तथा परिवर्धन के साथ पुस्तक को अद्यतन बनाया गया। डॉ. मिश्र के सत्परामर्श से प्रेरित होकर ही हमने भाषा विकास के संदर्भ में बोधन तथा अर्थ का विकास और भाषेतर संप्रेषण के विकास के प्रसंग पुस्तक में जोड़े, भाषा अर्जन प्रक्रिया में सार्वभौम तत्वों, भाषा अधिगम की प्रक्रिया के नूतन आयामों तथा भाषा अर्जन / अधिगम में व्याघात और त्रुटि विश्लेषण को समाविष्ट करके पुस्तक को अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास भी किया। एक निजी प्रवास में इस प्रकार के प्रोत्साहन के लिए हम डॉ मित्र के प्रति कृतज्ञ हैं और उन्हें हार्दिक धन्यवाद देते हैं।
Bhasha Vigyan
H 410 SHA