Anya bhasha shikshan ke kuch paksh
Singh, Amarbhadur (ed.)
Anya bhasha shikshan ke kuch paksh - Agra Kendriya Hindi Sansthan 1983 - 101 p.
भाषा शिक्षण को वैज्ञानिक आधार देने के लिए भाषाविज्ञान के अनुप्रयोग को अब स्पष्ट रूप से स्वीकार किया जाने लगा है। भाषा शिक्षण विशेषकर द्वितीय भाषा शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान एक सैद्धांतिक पृष्ठभूमि का कार्य करता है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वितीय एवं विदेशी भाषा के रूप में हिंदी के अध्ययन अध्यापन एवं तत्संबंधी अनुसंधान, अनुप्रयुक्त हिंदी भाषाविज्ञान एवं भाषा शिक्षण की विधियों-प्रविधियों एवं भाषा के विभिन्न प्रयोजनमूलक व्यवहार रूपों के संबंध में शोध एवं सामग्री निर्माण संबंधी उच्चस्तरीय कार्य के एक विशिष्ट केंन्द्र के रूप में विकसित हो आया है। अपने शैक्षिक कार्यक्रमों को सैद्धांतिक एवं शोधपरक आधार देने के लिए संस्थान समय-समय पर भाषा शिक्षण के विभिन्न महत्वपूर्ण पक्षों पर संगोष्ठियों एवं विचार-गोष्ठियों का आयोजन करता है
इसी श्रंखला में तथा संस्थान के तत्कालीन विभिन्न शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्य क्रमों के शैक्षिक आधार को पुष्ट करने के उद्देश्य से केंन्द्रीय हिंदी संस्थान ने अपने दिल्ली केंद्र में सन् 1973 में "भाषा शिक्षण एवं सामग्री निर्माण" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी में प्रस्तुत विचारोत्तेजक लेखों ने संस्थान की शिक्षण-प्रशिक्षण एवं सामग्री निर्माण संबंधी गतिविधयों को एक निश्चित दिशा प्रदान की। इस संगोष्ठी में भाषा शिक्षण की विधियाँ, सामग्री निर्माण के सिद्धांत, भाषाविज्ञान एवं अनुस्तरण, दृश्य-श्रव्य साधन, हिंदी भाषा शिक्षण पर उपलब्ध सामग्री का विवेचन आदि महत्वपूर्ण विषयों पर अधिकारी विद्वानों के द्वारा शोधपूर्ण लेख प्रस्तुत किए गए और उन पर चर्चा परिचर्चा की गई।
H 410 ANY
Anya bhasha shikshan ke kuch paksh - Agra Kendriya Hindi Sansthan 1983 - 101 p.
भाषा शिक्षण को वैज्ञानिक आधार देने के लिए भाषाविज्ञान के अनुप्रयोग को अब स्पष्ट रूप से स्वीकार किया जाने लगा है। भाषा शिक्षण विशेषकर द्वितीय भाषा शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान एक सैद्धांतिक पृष्ठभूमि का कार्य करता है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वितीय एवं विदेशी भाषा के रूप में हिंदी के अध्ययन अध्यापन एवं तत्संबंधी अनुसंधान, अनुप्रयुक्त हिंदी भाषाविज्ञान एवं भाषा शिक्षण की विधियों-प्रविधियों एवं भाषा के विभिन्न प्रयोजनमूलक व्यवहार रूपों के संबंध में शोध एवं सामग्री निर्माण संबंधी उच्चस्तरीय कार्य के एक विशिष्ट केंन्द्र के रूप में विकसित हो आया है। अपने शैक्षिक कार्यक्रमों को सैद्धांतिक एवं शोधपरक आधार देने के लिए संस्थान समय-समय पर भाषा शिक्षण के विभिन्न महत्वपूर्ण पक्षों पर संगोष्ठियों एवं विचार-गोष्ठियों का आयोजन करता है
इसी श्रंखला में तथा संस्थान के तत्कालीन विभिन्न शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्य क्रमों के शैक्षिक आधार को पुष्ट करने के उद्देश्य से केंन्द्रीय हिंदी संस्थान ने अपने दिल्ली केंद्र में सन् 1973 में "भाषा शिक्षण एवं सामग्री निर्माण" विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस संगोष्ठी में प्रस्तुत विचारोत्तेजक लेखों ने संस्थान की शिक्षण-प्रशिक्षण एवं सामग्री निर्माण संबंधी गतिविधयों को एक निश्चित दिशा प्रदान की। इस संगोष्ठी में भाषा शिक्षण की विधियाँ, सामग्री निर्माण के सिद्धांत, भाषाविज्ञान एवं अनुस्तरण, दृश्य-श्रव्य साधन, हिंदी भाषा शिक्षण पर उपलब्ध सामग्री का विवेचन आदि महत्वपूर्ण विषयों पर अधिकारी विद्वानों के द्वारा शोधपूर्ण लेख प्रस्तुत किए गए और उन पर चर्चा परिचर्चा की गई।
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