000 | 01769nam a2200193Ia 4500 | ||
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008 | 200204s9999 xx 000 0 und d | ||
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082 | _aCS RAI | ||
100 | _a"Rai, Vibhuti Narain" | ||
245 | 0 | _aTabadala | |
260 | _aDelhi | ||
260 | _bRadhakrishnaq | ||
260 | _c2002 | ||
300 | _a168p. | ||
520 | _aबहुराष्ट्रीय निगमों की बढ़ती मौजूदगी और कॉरपोरेट दुनिया में कार्य-संस्कृति पर लगातार एक नैतिक मूल्य के रूप में ज़ोर दिए जाने के बावजूद भारतीय मध्यवर्ग की पहली पसन्द आज भी सरकारी नौकरी ही है, तो उसका सम्बन्ध, उस आनन्द से ही है जो ग़ैर-ज़िम्मेदारी, काहिली, अकुंठ स्वार्थ और भ्रष्टाचार से मिलता है; और हमारे स्वाधीन पचास सालों में सरकारी नौकरी इन सब ‘गुणों’ का पर्याय बनकर उभरी है। इन्हीं के चलते तबादला-उद्योग वजूद में आया तो आज दफ़्तरों से लेकर राजनेताओं के बँगलों तक, शायद बाक़ी कई उद्योगों से ज़्यादा, फल-फूल रहा है। | ||
650 | _aUpanyas 2. Novel-Hindi | ||
942 |
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