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008 200204s9999 xx 000 0 und d
020 _a8173231155
082 _aH 418.02 MIS
100 _aMisra, Satya Dev
245 0 _aDubhasiya Pravidhi
260 _aLucknow
260 _bBharat Prakashan
260 _c2000
300 _a95 p.
520 _aअनुवाद के विशिष्ट प्रसंग में त्वरित या तत्काल भाषान्तरण, आशु अनुवाद, सारानुवाद, दुभाषिया अनुवाद जैसे कई समानार्थी शब्दों का प्रयोग किया जाता है। किन्तु इनमें सूक्ष्म अन्तर भी है। अनुभवी एवं विद्वान मनीषी डॉ. सत्यदेव मिश्र ने इनका सूक्ष्मान्तर स्पष्ट करते हुए, इनकी कार्य-पद्धति पर पर्याप्त प्रकाश डाला है। वस्तुतः दुभाषिया कर्म या आशु अनुवाद आधुनिक युग की सर्वोपयोगी आवश्यकता है। तत्काल भाषान्तरण की एक विशिष्ट प्रक्रिया और प्रविधि है। इस तकनीक और कला को जाने बिना कोई अच्छा अनुवादक भी दुभाषिया की भूमिका का निर्वाह सफलतापूर्वक नहीं कर सकता। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह पुस्तक तैयार की गई है। यह कहना यहाँ समीचीन है कि सफल दुभाषियों की आज महती आवश्यकता है। विश्व मैत्री, विश्व व्यापार, पर राष्ट्र नीति, विधि, न्याय- प्रशासन, संसद विधान मण्डलों के साथ ही उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी क्षेत्रों में, विचार-विनिमय में, दुभाषिया की गुणात्मक भूमिका रहती है। हिन्दी में इस प्रकार का कोई स्वतंत्र ग्रंथ अब तक नहीं लिखा गया है। इस अभाव की पूर्ति तो यह पुस्तक करेगी ही साथ ही स्वरोजगार के मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
942 _cB
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