000 | 02287nam a2200181Ia 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c54278 _d54278 |
||
005 | 20220801155523.0 | ||
008 | 200204s9999 xx 000 0 und d | ||
020 | _a8186331136X | ||
082 | _aH 418.02 ANU | ||
100 | _aTiwari, Balendu Shekar (ed.) | ||
245 | 0 | _aAnuvad vigyan | |
260 | _aDelhi | ||
260 | _bPrakashan Sanstha | ||
260 | _c1997 | ||
300 | _a143 p. | ||
520 | _aकिसी भाषा के साहित्य में और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में जितना महत्व मूल लेखन का है, उससे कम महत्व अनुवाद का नहीं है। लेकिन सहज और संप्रेषणीय अनुवाद मूल लेखन से भी कठिन काम है। भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए अनुवाद की समस्या और भी महत्वपूर्ण है। इसकी जटिलता को समझना अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है। इधर इस समस्या पर लेखकों तथा अनुवादकों ने विशेष ध्यान देना शुरू किया है तथा अनुवाद विज्ञान और अनुवाद कला पर साहित्य यत्रतत्र दिखाई देने लगा है। प्रस्तुत पुस्तक इस दिशा में गंभीर प्रयास है। इस पुस्तक में जिन लेखों का संकलन किया गया है, उनमें हिंदी अनुवाद को सिद्धांत और व्यवहार के व्यापक आधार फलक पर नापने जोखने की कोशिश साफ नज़र आती है। अनुवाद कार्य को अनेक कोणों से समझने में यह पुस्तक सहायक बनेगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। | ||
942 |
_cB _2ddc |