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260 | _aJaipur | ||
260 | _bR.B.S.A Publishers | ||
260 | _c1998. | ||
300 | _a369p. | ||
520 | _aइस पुस्तक में प्रबन्ध के प्रमुख विचारकों के दर्शन, चिन्तन एवं अनुसंधान कार्यों का विश्लेषण किया गया है। यह उनकी चिन्तनधाराओं के सार तत्त्व को अनावृत्त करने की दिशा में एक प्रयास है। | ||
650 | _aManagement Thoughts | ||
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