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008 | 200204s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 355.0335 NAR | ||
100 | _aNarendra,Mohan | ||
245 | 0 | _aPratiraksha aur samarik niti | |
245 | 0 | _nv.1999 | |
260 | _aNew Delhi | ||
260 | _bKitabghar | ||
260 | _c1999 | ||
300 | _a359p. | ||
520 | _aविश्व सिकुड़ रहा है और उसका प्रतिरक्षा परिदृश्य कुछ विश्वशक्तियों के हाथों में केंद्रित होता जा रहा है । इस सिकुड़ते विश्व में भौगोलिक दूरियाँ चूँकि महत्त्वहीन हो चुकी हैं, अतः प्रतिरक्षा विज्ञान व सैन्य प्रौद्योगिकी संबंधी रणनीति भी उसी दृष्टि से पूरी तरह बदल चुकी है । भारत के परिप्रेक्ष्य में भविष्य की प्रतिरक्षा रणनीति का आधार एक ओर जहाँ संप्रभुता और अखण्डता की सम्मानपूर्वक रक्षा करना है, वहीं उतना ही महत्त्व उसे लोक-समृद्धि, मजबूत अर्थ व्यवस्था तथा अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक मार्गों की रक्षा को भी देना होगा । भारत आज एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है । भारत की मंशा अपनी परमाणु शक्ति का उपयोग शांतिपूर्ण कार्यों व आत्मरक्षा के लिए है। किसी भी देश की प्रतिरक्षा व सामरिक नीति वर्तमान और भावी खतरों के आयामों के निरंतर विश्लेषण पर आधारित होती है और भारत को भी इन्हीं आधारों को दृष्टिगत रखते हुए अपने को तैयार रखना होगा । निश्चित रूप से भारत के समक्ष पग-पग पर चुनौतियाँ हैं, लेकिन अपनी संकल्पशक्ति से विद्यमान सभी चुनौतियों का सामना दृढ़ता व आत्मविश्वास से करेंगे । | ||
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