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020 _a8171460372
082 _aH 370.1 TOL
100 _aTolstoy,Lev
245 0 _aTolstoy ka shiksha darshan
245 0 _nv.1998
260 _aDelhi
260 _bArun Prakashan
260 _c1998
300 _a152p
520 _aविश्वप्रसिद्ध महान रूसी साहित्यकार लेव टॉल्स्टॉय (1828-1910) सारे संसार में अपने उपन्यासों, कहानियों और नाटकों के लिए जाने जाते हैं। उनकी अमर कृतियां मानवी संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं । उन्होंने बच्चों के लिए भी काफी कुछ लिखा है। किंतु सामान्य पाठकों को यह तथ्य अपेक्षाकृत कम ज्ञात है कि लेव टॉल्स्टॉय एक बहुत बड़े शिक्षा - सिद्धांतकार थे। उन्होंने बच्चों के शिक्षण तथा उनके लालन-पालन के क्षेत्र में नये विचारों को प्रतिपादित किया। वे बाल-शिक्षा में नयी पद्धतियों के एक महान प्रवर्तक थे । गहन चिंतन और अथक सृजनात्मक श्रम ने उस महान विचारक को गंभीर शिक्षा शास्त्रीय निष्कर्षों पर पहुंचाया था । टॉल्स्टॉय अपनी शिक्षाशास्त्रीय रचनाओं को साहित्यिक कृतियों से अधिक मूल्यवान मानते थे। उनके साहित्यिक और शिक्षाशास्त्रीय कृतित्व आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। मनुष्य के मानस और आत्मा की गति में बैठ पाने की अपनी अनुपम योग्यता की बदौलत टॉल्स्टॉय शैक्षिक प्रक्रियाओं का बहुमुखी अध्ययन कर सके और मनुष्य के स्वतंत्र तथा सर्वागीण विकास के नये तरीके तथा साधन बता सके।
942 _cB
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