000 | 02055nam a2200169Ia 4500 | ||
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999 |
_c46433 _d46433 |
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005 | 20220803145707.0 | ||
008 | 200204s9999 xx 000 0 und d | ||
020 | _a8185813108 | ||
082 | _aH 368 BHA | ||
100 | _aBhandari Y.S | ||
245 | 0 | _aBeema sidhantik ewam vyawahar\ by Y. S. Bhandari, Rajiv Jain [and] Ashok Nagar | |
245 | 0 | _nv.1993 | |
260 |
_aJaipur, _bRBSA publication _c1993 |
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300 | _a286p. | ||
520 | _aआधुनिक अर्थ तंत्र के सुचारु रूप से संचालन के संदर्भ में बीमा संस्थाओं का विशिष्ट योगदान होने से बीमें का क्षेत्र व्यापक एवं विस्तृत हो चुका है, अतः इसके प्रभाव में प्रार्थिक क्रियाओं का सफल संचालन असम्भव ही प्रतीत होता है । इस परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत पुस्तक में बीमा के सिद्धान्तों एवं उसके विभिन्न व्यावहारिक पक्षों का गहराई से अध्ययन करने का प्रयास किया गया है । व्यावहारिक पक्ष को स्पष्ट करने के उद्देश्य से पुस्तक में अनेक उदाहरणों, रेखाचित्रों एवं प्रारूपों को सम्मिलित किया गया है पुस्तक की रचना मूलतः विश्व विद्यालयों के स्नातक, स्नातकोत्तर एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों के आधार पर की गई है l | ||
942 |
_cB _2ddc |