000 | 02527nam a2200193Ia 4500 | ||
---|---|---|---|
999 |
_c44802 _d44802 |
||
005 | 20220802143344.0 | ||
008 | 200204s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 363.2 MAL | ||
100 | _a Mallick,Bhola Nath | ||
245 | 0 | _aPolice:ek darshnik vivechan | |
245 | 0 | _nv.1991 | |
260 | _aDelhi | ||
260 | _bPrabhat Prakashan | ||
260 | _c1991 | ||
300 | _a172p | ||
520 | _aपुलिस असैनिक सेवकों की एक संस्था है जिसे जीवन, संपत्ति एवं शांति व्यवस्था की रक्षा का महत्त्वपूर्ण काम सौंपा गया है। संभवतः इसीलिए हमारे शास्त्रों में पुलिस को 'रक्षी' कहा गया है। किंतु आज हमारे मनोमस्तिष्क में प्लिस की छवि अच्छी नहीं है। इसकी पृष्ठभूमि में विद्यमान कारणों की गहरी छानबीन का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है- 'पुलिस : एक दार्शनिक विवेचन' । पुलिस विभाग के सर्वोच्च पद से सेवानिवृत्त श्री भोलानाथ मल्लिक ने इस पुस्तक में न केवल पुलिस की उत्पत्ति, विकास और प्रयोजन का विश्लेषण किया है, अपितु सामाजिक एवं नैतिक परिप्रेक्ष्य में पुलिस के कर्तव्यों की विवेचना भी की है। यह पुस्तक केवल पुलिस जनों के लिए ही नहीं, जनता तथा व्यवस्था के कर्णधारों के लिए भी पठनीय है क्योंकि पुलिस के लिए अपेक्षित विश्वास और सहयोग इन्हीं से मिल सकते हैं। अब तक वे क्यों नहीं मिल सके- इसका पुस्तक में विस्तार से वर्णन है। | ||
650 | _aPolice | ||
942 |
_cB _2ddc |