000 02574nam a2200181Ia 4500
999 _c42306
_d42306
005 20220907150709.0
008 200204s9999 xx 000 0 und d
082 _aH 491.432 BAH
100 _aBahri, Hardev
245 0 _aPrachin bhartiya sanskriti kosh
245 0 _nv.1988
260 _aNew Delhi
260 _bVidya Prakashan
260 _c1988
300 _a455 p.
520 _aमानव-जीवन की यात्रा की उपलब्धि के दो अंग है सभ्यता और संस्कृति सभ्य शब्द सभा (समाज) से बना है । जिस बात को समाज पसन्द करता है वह सभ्यता है । संस्कृति इससे बहुत ऊपर है। मानवीय साधना के पांच सोपान है-शरीर मारमा, मन, बुद्धि और अध्यात्म इन्हीं की सिद्धि का नाम संस्कृति है । वैदिक काल से लेकर बारहवीं शताब्दी तक जिन तत्वों से भारतीय संस्कृति का निर्माण हुआ, वही भारतीय संस्कृति की बुनियाद है। इस कोश में वेद, पुराण, उपनिषद, वेदकालीन, बौद्ध कालीन, पुराणकालीन, तंत्रकालीन, रामायण-महाभारत कालीन संस्कृति, समाज, धर्म, दर्शन, व्रत, पर्व, कला, शिल्प, साहित्य, संगीत, भूगोल तथा इतिहास से संबंधित लगभग 20 हजार प्रविष्टियां है। भारतीय संस्कृति के मूल स्वर जो इधर-उधर बिखरे थे, उन्हें इस कोश में संचित करने का एक सफल सांस्कृतिक प्रयास । सुधी पाठकों, विद्वानों, सांस्कृतिक एवं शिक्षण संस्थाओं, विद्यालयों तथा पुस्तकालयों के लिए उपयोगी एवं संग्रहणीय कोश ।
942 _cB
_2ddc