000 | 03212nam a2200169Ia 4500 | ||
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999 |
_c40503 _d40503 |
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005 | 20220722210639.0 | ||
008 | 200204s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 388 MIS | ||
100 | _aMisra,Mohanlal | ||
245 | 0 | _aParivahan aur aarthik vikas | |
260 | _aJaipur | ||
260 | _bRajasthan Hindi Grantha Akademi | ||
260 | _c1973 | ||
300 | _a309 p. | ||
520 | _aऔद्योगिक सभ्यता की प्रमुख चुनौती विशाल उत्पादन व बढ़ते हुए उपभोग से सम्बन्धित माल व यात्री यातायात की परिवहन व्यवस्था से सम्बन्धित है । यद्यपि परिवहन का महत्त्व मानव सभ्यता के आदिकाल से ही रहा है, आधुनिक युग में समाज की गतिशीलता में असाधारण वृद्धि हुई है । आज अार्थिक संवृद्धि की गति परिवहन उपकरणों की तकनीकी कुशलता पर निर्भर रहती है । विकसित व विकासशील दोनों ही प्रकार के नए-नए उप करणों के प्रयोग की होड़ में लगे हुए हैं। यद्यपि साधारण नागरिक परिवहन विषय की गहराइयों से अपरिचित है, व्यवहार में उसका जीवन परिवहन लागत व कुशलता से अधिकाधिक प्रभावित होता जा रहा है। आधुनिक शहरीकरण के परिवेश में परिवहन सेवाएँ जन साधारण के जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डालती हैं । उत्पादक परिवहन लागत की किफायतों के आधार पर ही प्रतियोगिता में टिक पाते हैं व इन लागतों के परिवत्तन उपभोक्ता के बजट को प्रभावित करते हैं । महत्त्वपूर्ण बात यह है कि नियोजित आर्थिक विकास में परिवहन के सही अनुमान व उपलब्धि के अभाव में अनेक कुठाएँ व्याप्त हो जाती है व निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करना असंभव हो जाता है । अतः परिवहन विकास तथा आर्थिक विकास एक दूसरे से जुड़े हुए हैं व एक के बिना दूसरे का अस्तित्व प्रायः असंभव हैं । | ||
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_cB _2ddc |