000 | 03005nam a2200193Ia 4500 | ||
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999 |
_c37050 _d37050 |
||
005 | 20220808124255.0 | ||
008 | 200202s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 370.1 RUS 2nd ed. | ||
100 | _aRusk,Robert R | ||
245 | 0 | _aShiksha ke darshanik adhar/ translated by Laxmi Lal k. | |
245 | 0 | _nv.1972 | |
260 | _aJaipur | ||
260 | _bRajasthan Hindi Granta Akademi | ||
260 | _c1972 | ||
300 | _a171p | ||
520 | _aभारत की स्वतन्त्रता के बाद इसकी राष्ट्रभाषा को विश्वविद्यालय शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रतिष्ठित करने का प्रश्न राष्ट्र के सम्मुख था। किन्तु हिन्दी में इस प्रयोजन के लिए अपेक्षित उपयुक्त पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध नहीं होने से यह माध्यम परिवर्तन नहीं किया जा सकता था । परिणामतः भारत सरकार ने इस न्यूनता के निवारण के लिए "वैज्ञानिक तथा पारिभाषिक शब्दावली प्रयोग" की स्थापना की थी। इसी योजना के अन्तर्गत पीछे १९६९ में पाँच हिन्दी भाषी प्रदेशों में ग्रन्थ अकादमियों की स्थापना की गयी राजस्थान हिन्दी प्रत्य अकादमी हिन्दी में विश्वविद्यालय स्तर के उत्कृष्ट ग्रन्थ-निर्मारण में राजस्थान के प्रतिष्ठित विद्वानों तथा अध्यापकों का सहयोग प्राप्त कर रही है और मानविकी तथा विज्ञान के प्रायः सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट पाठ्य-ग्रंथों का निर्माण करवा रही है। अकादमी चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के अन्त तक तीन सो से भी अधिक ग्रंथ प्रकाशित कर सकेगी, ऐसी हम आशा करते हैं प्रस्तुत पुस्तक इसी क्रम में तैयार करवायी गयी है। हमें आशा है कि यह अपने विषय में उत्कृष्ट योगदान करेगी । | ||
700 | _aLaxmi Lal k. (tr.) | ||
942 |
_cB _2ddc |