000 | 03020nam a2200193Ia 4500 | ||
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999 |
_c36203 _d36203 |
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005 | 20221012155124.0 | ||
008 | 200202s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 591.33 SHU | ||
100 | _aShukla,Ramashankar | ||
245 | 0 | _aAavratbiji paudhon ki akariki:bhrun vigyan/ by Ramashankar Sukla and Phool Singh Chandel | |
245 | 0 | _nv.1975 | |
260 | _aLucknow | ||
260 | _bUttar Pradesh Hindi Grantha | ||
260 | _c1975. | ||
300 | _a183p. | ||
520 | _aप्रस्तुत पुस्तक 'आवृतबीजी पौधों की आकारिकी' वनस्पति विज्ञान तथा कृषि वनस्पति विज्ञान के स्नातक स्तर के छात्रों लिये लिखी गयी हैI पुस्तक के इस खण्ड में कुल 9 अध्याय हैं। पहले अध्याय में भ्रण-विज्ञान का ऐतिहासिक विवरण दिया गया है। द्वितीय अध्याय में लघुवीजाणुजनन तथा गुरुबीजाणुजनन का उल्लेख किया गया है, तृतीय अध्याय में नर तथा मादा युग्मकोद्भिद का विवरण दिया गया है तथा चतुर्थ अध्याय में निवेवन का विस्तृत वर्णन किया गया है। पांचवें अध्याय में निषेचन के उपरांत होने वाले परिवर्तनों का वर्णन किया गया है, छठवें अध्याय में आवृतबीजी पौधे के जीवनवृत का एक संक्षिप्त निबंध दिया गया है, सातवें अध्याय में असंगजनन तथा बहु णता का उल्लेख किया है, आठवें अध्याय में "भ्रौणिकी का पादप वर्गीकरण विज्ञान में योगदान " पर विस्तृत वर्णन दिया गया है तथा इसमें यह बताया गया है कि श्रौणिकी के विभिन्न पहलुओं पर किस प्रकार वर्गीकरण किया जा सकता है। नवें अध्याय में प्रायो गिक तथा अनुप्रयुक्त श्रौणिकी के महत्व एवं इस क्षेत्र में किये गये आधुनिकअनु संधानों का समुचित समावेश है । | ||
650 | _aAavrtabeejee vanaspti | ||
942 |
_cB _2ddc |