000 02490nam a22001937a 4500
003 OSt
005 20250705114707.0
008 250705b |||||||| |||| 00| 0 eng d
020 _a9789363069770
040 _cAACR-II
082 _aH 891.4303 PAN
100 _aPandey, Neerja
_911631
245 _aPanno se utarti chandni : पन्नो से उतरती चाँदनी
260 _aNew Delhi
_bLittle Bird
_c2024
300 _a126p.
520 _aऐसे समय में नीरजा पाण्डेय का यह उपन्यास आया है जब नारी उत्पीड़न की न जाने कितनी घटनायें हम सभी प्रतिदिन अखबार में पढ़ते हैं, जो हमको अधिक सोचने के लिए विवश करती हैं और फिर हम उन्हें भुलाकर अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। दिन-पर-दिन वर्ष-पर-वर्ष बीतते जाते हैं, न हमारी सोच बदलती है न समाज का ढंग बदलता है। क्या हमने कभी सोचा है कि ये घटनायें जिसके ऊपर गुजरती हैं उसका जीवन कितना अभिशप्त हो जाता है? क्या गुनाह होता है उसका जिसके लिए उसे पूरा जीवन न्योछावर करना पड़ता है? उस बेटी को भी तो कभी माँ ने नौ महीने अपनी कोख में रखा था। उसकी हर किलकारी पर सभी न्योछावर हुए थे। जब पहली बार घर में उसने डगमगाते कदम रखे थे तो माता-पिता का हृदय खुशी से फूला नहीं समाया था। कभी भी किसी को यह आभास नहीं हुआ कि बेटे की हँसी मन को ज्यादा खुश करती है और लड़की की किलकारी कम।
650 _aLiterature-Hindi
_911632
942 _2ddc
_cB
999 _c358661
_d358661