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_aGadiya, Ashok kumar _911545 |
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_aNew Delhi _bVani _c2025 |
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300 | _a143p. | ||
520 | _aबहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अशोक कुमार गदिया ने शिक्षा जगत में राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मेवाड़ विश्वविद्यालय, चित्तौड़गढ़ के माध्यम से अपनी अनूठी पहचान बनायी है। अध्ययन में रुचि रखने वाले जनसाधारण एवं दूरस्थ वंचित वर्ग के शिक्षार्थियों का जीवन ज्ञान के प्रकाश से आलोकित हो, यह इनके जीवन का प्रमुख सेवामूलक उद्देश्य रहा है। वे चाहते हैं कि छात्र पढ़- 5-लिखकर परिवार के लिए तो अच्छे पुत्र-पुत्री सिद्ध हों ही, अपितु वे समाज के लिए भी सामाजिक मान्यताओं एवं अपेक्षाओं की कसौटी पर स्वयं को अच्छा सदस्य बनायें। इसके साथ ही वे राष्ट्रीय जनतान्त्रिक जीवन-मूल्यों के मानक पर स्वयं को एक सुसंस्कृत नागरिक सिद्ध कर सकें और वे इक्कीसवीं शताब्दी के अनुरूप एक सफल जीवन व्यतीत करें। उक्त उदात्त उद्देश्य से सम्बन्धित बिन्दु-बिन्दु विचार के रूप में डॉ. गदिया ने सैकड़ों चिन्तन-प्रधान विचारों को अभिव्यक्ति प्रदान की है। ये समस्त विचार वर्गीकृत रूप में सफलता के सोपान शीर्षक के साथ पुस्तकाकार में प्रस्तुत हैं। इस पुस्तक को पढ़कर युवा पीढ़ी में शिक्षा के माध्यम से अच्छे इन्सान में अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन की लगभग सभी संकल्पनाएँ साकार करने का प्रयास रहा है, जो जनतान्त्रिक मूल्यों के प्रति आस्थावान राष्ट्र के लिए आवश्यक हैं, जो वर्तमान शिक्षा का उद्देश्य भी है। यह पुस्तक 27 सोपानों में वर्गीकृत है, जो भारतीय जीवन-दर्शन के अनुरूप असीम सत्ता में विश्वास रखने की उदात्त भावना के साथ 'ईश्वर में आस्था ' के प्रकरण से प्रारम्भ होती है, जो उन शिक्षार्थियों को इक्कीसवीं शताब्दी के अनुरूप सफल जीवन व्यतीत कर सकने योग्य एक अच्छा इन्सान बनाने में सक्षम है। आगे के अध्यायों में पारिवारिक दृष्टिकोण से माता-पिता के मधुर सम्बन्धों द्वारा अच्छे पुत्र-पुत्री बनने की प्रेरणा के साथ समाज के लिए अच्छे सदस्य सिद्ध होने का सन्देश है। इसके लिए बालक को स्वयं की शारीरिक शक्ति एवं मानसिक क्षमता को पहचान कर लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल है। इस पुनीत कार्य में स्वास्थ्य सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए सचेत रहने एवं सकारात्मक सोच के साथ स्वाध्याय और आत्मानुशासन की भूमिका का सार्थक प्रतिपादन है। सफल जीवन की ओर अग्रसर होने के लिए थोड़ा-थोड़ा किन्तु अनवरत परिश्रम करते रहने तथा असफलता पर निराश न होने के साथ परिश्रम में रही कमी को खोजकर उसे दूर करने का उद्बोधन है। समय और परिस्थिति के अनुसार सफलता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को सहनशील होकर उत्साह एवं धैर्य के साथ उन्हें पार करने के अथक प्रयास की महत्ता की अभिव्यक्ति है। इसके साथ ही स्वस्थ मानसिकता एवं आत्मविश्वास के रहते हुए झूठ एवं अहंकार से बचकर जीवन में अहिंसक विचारधारा अपनाने के साथ सफलता के मार्ग पर अग्रसर होना सुनागरिक बनने की कसौटी है। इससे जीवन में उल्लास एवं उमंगों का संचार होता है, जो सुखी और प्रसन्न जीवन की आधारशिला है। पुस्तक का समापन जीवन में सफलता हेतु शाश्वत, सार्थक एवं अनुकरणीय कतिपय सूक्तियों के साथ होता है, जिन्हें आत्मसात करने की प्रबल आवश्यकता है। वस्तुतः इस पुस्तक के सम्पादन में विषयवस्तु को इस प्रकार संयोजित करने का प्रयास रहा है कि कथ्य के साथ पाठक स्वयं के द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों की तुलना करते हुए इसे रुचिपूर्वक पढ़ें और स्वयं में आवश्यक व्यवहारगत परिवर्तन लाने हेतु अनुभव कर उनका परिमार्जन करें और स्वयं को अच्छा नागरिक सिद्ध करें। हमें पूरा विश्वास है कि यह प्रयास सार्थक होगा और पाठक इससे लाभान्वित होकर देश के लिए स्वयं को सुसंस्कृत नागरिक सिद्ध करेंगे। | ||
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_aPhilosophy- Human Life _911546 |
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