000 | 01604nam a22002177a 4500 | ||
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003 | OSt | ||
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020 | _a9789393091925 | ||
040 | _cAACR-II | ||
082 | _aH MAN P | ||
100 |
_aManu, Prakash _9174 |
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245 | _aChuni hui kavitayen | ||
260 |
_aNew Delhi _bLittle-Bird _c2024 |
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300 | _a168p. | ||
520 | _aप्रकाश मनु की सृजन-यात्रा की शुरुआत कविता से हुई थी, और पिछले पचास बरसों के लंबे उतार-चढ़ाव और विचित्रा हलचलों भरे दौर में उनके जीवन और साहित्य-यात्रा में भी तमाम मोड़ आए, पर कविता का साथ कभी नहीं छूटा। कविता उनके लिए साँस लेने की तरह है, और उनके ही शब्दों में, ”कविता का और मेरा पुराना साथ है। कभी-कभी तो लगता है, जन्म-जन्मांतरों का!“ जाहिर है, कविता से ही उन्हें जीने और जूझने की शक्ति मिलती है, और जीने के मायने भी। | ||
650 |
_aHindi literature _99005 |
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650 |
_aHindi Kavitayen- Prakash Manu _99006 |
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650 |
_aPoetries- Hindi _99007 |
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942 |
_2ddc _cB |
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999 |
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