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082 | _aH 398.2 SIN | ||
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_aSingh, Vidya Vindu _97104 |
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245 | _aAwadh ke pramukh vrat-parva-tyohar evam riti-rivaj | ||
260 |
_aPrayagraj _bLokbharti _c2024 |
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300 | _a269p. | ||
520 | _aहमारा भारतवर्ष मुख्य रूप से कथा धर्मी देश है। तप-साधना से तो नव-नव ज्ञान की सूझें मिलती ही हैं पर चित्त की रस तृप्ति द्वारा प्रेरित संरचनात्मक धर्मिता से भी हमारे देश ने कुछ कम उपलब्धियाँ नहीं पाईं। इस बात को मैं बार-बार कहते हुए भी नही अघाता हूँ कि मुख्य रूप से भारत ही एक ऐसा देश है जिसने पुराण कथाओं के संग्रह और भारत जैसे आसमुद्र हिमालय वाले महादेश में वैष्णवधर्मी एक राष्ट्रीयता का निर्माण करने के लिए नैमिषारण्य में कथा यूनिवर्सिटी बनाई थी। लोक साहित्य-संगीत और कला में गहन रुचि रखने के साथ ही डॉ. विद्या विन्दु सिंह स्वयं भी कथाएँ लिखती हैं। कामना करता हूँ कि विदुषी लेखिका का कर्म और यश उत्तरोत्तर वर्द्धमान हो। | ||
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