000 02141nam a22002057a 4500
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020 _a9788171197316
040 _cAACR-II
082 _aH 891.43 MAH
245 _aMahatma Jotiba Phule rachanawali
260 _aDelhi
_bRadhakrishan
_c2021
300 _a383p.; 310p.
520 _aयह किताब जोतिबा फुले (जोतीराव गोविंदराव फुले : 1827-1890) की सम्पूर्ण रचनाओं का संग्रह है ! सन 1855 से सन 1890 तक उन्होंने जितने ग्रंथो की रचना की, सभी को इसमें संगृहीत किया गया है ! उनकी पहली किताब 'तृतीय रत्न' (नाटक) सन 1855 में और अंतिम 'सार्वजानिक सत्यधर्म' सन 1891 में उनके परिनिर्वाण के बाद प्रकाशित हुई थी ! जोतीराव फुले की कर्मभूमि महाराष्ट्र रही है ! उन्होंने अपनी साडी रचनाएँ जनसाधारण की बोली मराठी में लिखीं ! उनका कार्य और रचनाएँ अपने समय में भी विवादस्पद रहीं और आज भी हैं ! लेकिन उनका लेखन हर पीढ़ी में सामाजिक क्रांति की चेतना जगाता रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं ! उनकी यह रचनावली उनके कार्य और चिंतन का ऐतिहासिक दस्तावेज है !
650 _aHindi Literature
_94716
650 _aHindi Rachanavali- Mahatma Jotiba Phule
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710 _aVimalkriti, L.J. Meshram ed. & tr.
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