000 01832nam a22001937a 4500
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020 _a9789381869420
040 _cAACR-II
082 _aPM 954.053 BHA
100 _aBhagat, Arun kumar
_91913
245 _aAtal Bihari Vajpayee ki kavya chetana
260 _aDelhi
_bPuspanjali
_c2020
300 _a208p.
520 _aजब कोई कवि राजनीति में प्रवेश करता है तो राजनीति और शासन अर्थवान हो जाते हैं। उनमें सुचिता आ जाती है। जब कोई व्यक्ति राजनीति में रहकर समाज के प्रत्येक व्यक्ति के हृदय को स्पर्श करने लगता है, उसके मर्म को छूने का अभ्यासी हो जाता है और ऐसा व्यक्ति जब कलम उठाता है तो उसकी संवेदनाएँ पन्नों पर पसर जाती हैं। उसके अंदर का मर्म छलक जाता है। मन की पीड़ा और भावनाएँ कविता बन जाती हैं। अटल जी इसके दृष्टांत-पुरुष हैं। उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में उनके आहत मन और भावनाओं को सहजतापूर्वक समझा जा सकता है। -मृदुला सिन्हा
650 _aIndian History; Indian Politics; Atal Bihari Vajjpai
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999 _c355164
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