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040 _cAACR-II
082 _aH 891.431 AGY
100 _aAgeya
_9684
245 _aDoosra Saptak
250 _a6th ed.
260 _aNew Delhi
_bVani
_c2022
300 _a176p.
520 _aदूसरा सप्तक - भवानीप्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेरबहादुर सिंह, नरेश मेहता, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती। यह संग्रह ऐतिहासिक है। एक अर्थ में 'तार सप्तक' से भी अधिक, क्योंकि जहाँ 'तार सप्तक' के सभी कवियों का अपने परवर्तियों पर प्रभाव अलग-अलग देखा जा सकता था, वहाँ 'दूसरा सप्तक' कवियों ने समसामयिक काव्य की प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व किया और उनका प्रभाव अपने समय के काव्य पर पड़ा। आज भी अनेक काव्यप्रेमियों में इस संग्रह की कविताएँ आधुनिक हिन्दी कविता के उस रचनाशील दौर की स्मृतियाँ जगायेंगी जब भाषा और अनुभव दोनों में नये प्रयोग एक साथ कर सकना ही कवि-कर्म को सार्थक बनाता था। निस्सन्देह ये कविताएँ अपने में तृप्तिकर हैं—उनके लिए जिन्हें अब भी कविता पढ़ने का समय है। साथ ही, इस संग्रह की विचारोत्तेजक और विवादास्पद भूमिका को पढ़ना भी अपने में एक ताजा बौद्धिक अनुभव आज भी है
650 _aLiterature- Hindi; Poems; Jnanpith awarded author
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