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020 _a9788119014088
040 _cAACR-II
082 _aH DEV A
100 _aDevi, Ashapurna
_9676
245 _aSuvarnalata
250 _a14th ed.
260 _aNew Delhi
_bVani
_c2023
300 _a464p.
440 _aRastrabharti/ lokodya Granthamala
_v402
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520 _aसुवर्णलता - बांग्ला कथा-साहित्य की कालजयी रचनाकार श्रीमती आशापूर्णा देवी की लेखनी से सृजित उपन्यास 'सुवर्णलता' अपनी कथा-वस्तु और शैली शिल्प में इतना अद्भुत है कि पढ़ना प्रारम्भ करने के बाद इसे छोड़ पाना कठिन है। उपन्यास समाप्त करने के बाद भी इसके पात्र—सुवर्णलता और सुवर्णलता के जीवन तथा परिवेश से सम्बद्ध पात्र—मन पर छाये रहते हैं, क्योंकि ये सब इतने जीते-जागते चरित्र हैं, इनके कार्यकलाप, मनोभाव, रहन-सहन, बातचीत सब-कुछ इतना सहज, स्वाभाविक है और मानव मन के घात-प्रतिघात इतने मनोवैज्ञानिक हैं कि पाठक को वे अपने से ही प्रतीत होते हैं। निस्सन्देह इस उपन्यास में लेखिका का दृष्टिकोण एक बहुआयामी विद्रोहिणी की नज़र है। "
650 _aNovel- Bangla; Tiwari, Hanskumar tr.; Jnanpith Awarded
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999 _c354572
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