000 | 02172nam a22002177a 4500 | ||
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003 | OSt | ||
005 | 20240218091417.0 | ||
008 | 240218b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788119014088 | ||
040 | _cAACR-II | ||
082 | _aH DEV A | ||
100 |
_aDevi, Ashapurna _9676 |
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245 | _aSuvarnalata | ||
250 | _a14th ed. | ||
260 |
_aNew Delhi _bVani _c2023 |
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300 | _a464p. | ||
440 |
_aRastrabharti/ lokodya Granthamala _v402 _9778 |
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520 | _aसुवर्णलता - बांग्ला कथा-साहित्य की कालजयी रचनाकार श्रीमती आशापूर्णा देवी की लेखनी से सृजित उपन्यास 'सुवर्णलता' अपनी कथा-वस्तु और शैली शिल्प में इतना अद्भुत है कि पढ़ना प्रारम्भ करने के बाद इसे छोड़ पाना कठिन है। उपन्यास समाप्त करने के बाद भी इसके पात्र—सुवर्णलता और सुवर्णलता के जीवन तथा परिवेश से सम्बद्ध पात्र—मन पर छाये रहते हैं, क्योंकि ये सब इतने जीते-जागते चरित्र हैं, इनके कार्यकलाप, मनोभाव, रहन-सहन, बातचीत सब-कुछ इतना सहज, स्वाभाविक है और मानव मन के घात-प्रतिघात इतने मनोवैज्ञानिक हैं कि पाठक को वे अपने से ही प्रतीत होते हैं। निस्सन्देह इस उपन्यास में लेखिका का दृष्टिकोण एक बहुआयामी विद्रोहिणी की नज़र है। " | ||
650 |
_aNovel- Bangla; Tiwari, Hanskumar tr.; Jnanpith Awarded _9807 |
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942 |
_2ddc _cB |
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999 |
_c354572 _d354572 |