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020 _a9788126330805
040 _cAACR-II
082 _aH 891.432 KAR
100 _aKarnad, Girish
_9738
245 _aNagmandal (Kannad play)
250 _a9th ed.
260 _aNew Delhi
_bJnanpith
_c2022
300 _a78p.
520 _aनागमण्डल - गिरीश कार्नाड का बहुचर्चित नाटक 'नागमण्डल' दक्षिण भारत में प्रचलित लोक-कथा पर आधारित है। भारतीय आख्यानों में नाग का इच्छित रूप धारण कर लेना एक जनप्रिय एवं रोचक कथावस्तु रही है। इस नाटक में कार्नाड ने नाग को पुरुष के विकृत भावों का प्रतीक मानकर नारी के असहाय-बोध को उजागर किया है। पति-पत्नी की मानसिकता और बढ़ते हुए निरन्तर अन्तर्द्वन्द्व को बड़े नाटकीय एवं तर्कसंगत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। अभिनय और संवाद की दृष्टि से गिरीश कार्नाड का यह नाटक बहुत सफल माना गया है। "
650 _aHindi Literature; Play- Kannad; Kannad Natak; Jnanpith Pruskar prapt kriti; Narayan, B. R. Tr.
_9739
942 _2ddc
_cB
999 _c354529
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