000 | 01804nam a22001937a 4500 | ||
---|---|---|---|
003 | OSt | ||
005 | 20240205093410.0 | ||
008 | 240205b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9789350003862 | ||
040 | _cAACR-II | ||
082 | _aH 891.431 BAD | ||
100 |
_aBadra, Bashir _9691 |
||
245 | _aAas | ||
260 |
_aNew Delhi _bVani _c2020 |
||
300 | _a114p. | ||
520 | _a‘आस’ में बशीर बद्र की रचनात्मकता का उत्कृष्ट रूप मौदूज है। साहित्य अकादमी से सम्मानित यह संग्रह उनकी कुछ नई गज़लों के साथ पहली बार देवनागरी में प्रकाशित हो रहा है। अपनी तशीर में बशीर बद्र की गज़लें नन्ही दूब पर अटकी हुई ओस की बूँद और सर्दी में पेड़ की फुगनी पर उतरती हुई मुलायम धूप की तरहा है। यहाँ प्रकृति आदमी के एहसास का हिस्सा है। उन्होने शायरी को सर्वथा नए प्रकृति-बिम्बों से समृध्द किस है। लेकिन उनकी गज़लों में जो छाया-प्रकाश के रुओ-रंगों की सहरकारी है,उसकी तह में हमारे दौर के क्रूर सवाल भी मौजूद हैं। | ||
650 |
_aHindi Literture; Ghazal; Sahatiya Akadmi Pruskar se Samanit kriti _9692 |
||
942 |
_2ddc _cB |
||
999 |
_c354507 _d354507 |