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040 _cAACR-II
082 _aH 891.431 SHA
100 _aShahryar
_9663
245 _aSham hone wali hai
260 _aNew Delhi
_bVani
_c2020
300 _a112p.
520 _aयह पुस्तक शहरयार का नया काव्य-संग्रह है। शहरयार की शायरी हिन्दी पाठकों के लिए नई नहीं है। पाठक उकई भाषा,कला,एवं समस्याओं से भली-भाँति परिचित है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठकों को एहसास होगा की खुद को दोहरने या किसी भी अवस्था में ठहर जाने की प्रवृति इस शायरी में नहीं है।
650 _aHindi Literature; Ghazal; Naqvi, Mehtab Haidar tr.
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