000 | 01173nam a22001937a 4500 | ||
---|---|---|---|
003 | OSt | ||
005 | 20240205051111.0 | ||
008 | 240205b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788181433381 | ||
040 | _cAACR-II | ||
082 | _aH 891.431 SHA | ||
100 |
_aShahryar _9663 |
||
245 | _aSham hone wali hai | ||
260 |
_aNew Delhi _bVani _c2020 |
||
300 | _a112p. | ||
520 | _aयह पुस्तक शहरयार का नया काव्य-संग्रह है। शहरयार की शायरी हिन्दी पाठकों के लिए नई नहीं है। पाठक उकई भाषा,कला,एवं समस्याओं से भली-भाँति परिचित है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठकों को एहसास होगा की खुद को दोहरने या किसी भी अवस्था में ठहर जाने की प्रवृति इस शायरी में नहीं है। | ||
650 |
_aHindi Literature; Ghazal; Naqvi, Mehtab Haidar tr. _9664 |
||
942 |
_2ddc _cB |
||
999 |
_c354492 _d354492 |