000 | 01498nam a22002177a 4500 | ||
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001 | 0 | ||
003 | OSt | ||
005 | 20230725040852.0 | ||
008 | 230725b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788194971399 | ||
040 | _c0 | ||
082 |
_aUP 891.43 _bMIS |
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100 | _aMisra, Ram Bhadur | ||
245 | _aGadigein basant ke dhah | ||
260 |
_aDelhi _bShivank Prakashan _c2022 |
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300 | _axi; 379 p. | ||
520 | _aफाग गीत वसंत ऋतु के अवसर पर गाये जाने वाले बीत हैं, जो विभिन्न छंदों एवं पदों में गाये जाते हैं। फागुनी बयार के मदमाते झोंके जनमानस के हृदय को आंदोलित कर देते हैं, मन बावरा हो जाता है। अवधी फाग साहित्य में लोकजीवन के विविध रूपों की झांकी देखने को मिलती है। लोक जीवन धार्मिक आस्था से ओत प्रोत होता है। धर्म का मूलाधार है लोक विश्वास और लोक विश्वासों की अमूल्य निधि लोक साहित्य में छिपी है। | ||
650 | _aHindi Literature | ||
650 | _aAwadhi | ||
942 |
_2ddc _cB |
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999 |
_c353972 _d353972 |