000 02309nam a22002057a 4500
999 _c350484
_d350484
003 0
005 20230501191517.0
020 _a9789351865957
082 _aH 920.71
_bKAL
100 _aKalam, A.P.J Abdul
245 _aVijay bhaw
260 _aDelhi
_bPrabhat Paperbacks
_c2023.
300 _a174 p.
520 _aडॉ. कलाम ने अपने भावनात्मक, नैतिक एवं बौद्धिक विकास के बारे में इस प्रकार बताया है कि यह पुस्तक निश्चित ही पाठकों को उन लोगों और संस्थानों की याद दिलाएगी, जिन्होंने स्वयं पाठकों के सफल होने में मदद की। यह पुस्तक सोचने-विचारने के लिए बहुत सारे आयामों को खोलती है, अनेक व्यावहारिक चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है और कई महत्त्वपूर्ण सवाल पाठकों के सामने रखती है कि हर पाठक अपनी एक अलग बौद्धिक-यात्रा पर चल पड़ता है। प्रस्तुत पुस्तक यह तर्क प्रस्तुत करती है कि कुछ सीखने के लिए शिक्षकों के साथ-साथ उपयोगी वस्तुओं की भी आवश्यकता होती है। दूरस्थ शिक्षा भी ऐसी ही एक व्यवस्था है, जिसकी खोज पुनः की गई है, क्योंकि यह एक प्राचीन परंपरा भी रही है कि शिक्षक व्यक्तिगत रूप से पढ़ानेवाले व्यक्ति के रूप में देखा जा सकता है।
650 _aPresident of India
650 _aDr. A.P.J Abdul Kalam
650 _aYou are born to blossom
700 _aTiwari, Arun Kumar
942 _cB