000 | 01160nam a22002177a 4500 | ||
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003 | 0 | ||
005 | 20250806155221.0 | ||
008 | 250806b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788170282082 | ||
040 | _c0 | ||
082 |
_aBR 181.4 RAD 1954 _bRAD |
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100 |
_aRadhakrishnan, S. _912613 |
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245 | _aSatya ki khoj | ||
260 |
_aNew Delhi _bRajpaal & sons _c2022. |
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300 | _a159 p. | ||
520 | _aडॉ. राधाकृष्णन ने इस रचना में शाश्वत सत्य की खोज-परख की है। अंततः सत्य है क्या? प्रचलित मान्यताओं को विवेक और तर्क की कसौटी पर कसते हुए प्राचीन उपनिषदों से लेकर आधुनिक दार्शनिकों तक के विचारों का सुगम शैली में मूल्यांकन किया है। | ||
650 |
_aPresident of India _912614 |
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650 |
_aRadhakrishnan, S. (Sarvepalli), 1888-1975 _912615 |
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650 |
_aPhilosophers _912616 |
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942 |
_cB _2ddc |
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999 |
_c350462 _d350462 |