000 | 01458nam a22002057a 4500 | ||
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003 | 0 | ||
005 | 20250806155902.0 | ||
008 | 250806b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
020 | _a9788186409622 | ||
040 | _c0 | ||
082 |
_aBR 954.0420924 RAD 1954 _bRAD |
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100 |
_aRadhakrishnan, Sarvepalli _912623 |
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245 | _aSwatantrata aur sanskriti | ||
260 |
_aDelhi _bGyanbani Prakashan _c2021. |
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300 | _a112 p. | ||
520 | _aप्रस्तुत पुस्तक इस डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के ऐसे निबन्धों आलेखों का संग्रह है जिनमें उन्होंने भारतीय मनीषा का गुणानुवाद ही नहीं किया वरन् उसे सही सन्दर्भों में व्याख्यायित किया है। इस संग्रह की एक अन्यतम विशेषता है इसकी बहुआयामिता । इन आलेखों में जहां भारतीय महापुरुषों पर आलेख हैं, तो वहीं भारत और विश्व के अनेकों देशों का तुलनात्मक अध्ययन है। | ||
650 |
_aPresident of India _912624 |
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650 |
_aDr Sarvepalli Radhakrishnan _912625 |
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942 |
_cB _2ddc |
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999 |
_c350434 _d350434 |