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082 _aH 370.152 BHA
100 _aBhagya,Nirmal
245 0 _aShiksha me mulyankan ke sidhant aur pravidhiyan
245 0 _nv.1978
250 _a1st ed.
260 _aJaipur
260 _bRajasthan Hindi Grantha Academy
260 _c1978
300 _a203p.
520 _aबी० एड० पौर एम० एड० के हिन्दी भाषा मायी शिक्षार्थियों के साथ स [असें] तक सम्बन्धित होने के कारण मुझे उनकी प्रावश्यकताओं और समस्याओं को समझने का अवसर मिला है। शैक्षिक क्षेत्र में उनकी सबसे प्रमुख प्रावश्यकता है। हिन्दी भाषा में सरल, सन्तुलित एवं रोचक पाठ्य-पुस्तकों तथा सन्दर्भ-पुस्तकों की प्राप्ति हिन्दी में शैक्षिक मूल्यांकन के विषय पर पिछले वर्षों में कुछ चुकी हैं और कुछ अंग्रेजी से अनूदित की गई हैं। किन्तु शिक्षार्थियों को मैंने इनसे सन्तुष्ट नहीं पाया है। प्रस्तुत पुस्तक से उन्हें कहाँ तक सन्तोष होगा, इसकी भविष्य वाणी करना अनुचित होगा, परन्तु पुस्तक की जिन विशेषताओं का पुस्तक-परिचय में उल्लेख किया गया है, उन्हें देखते हुए यह पाया की जा सकती है कि शिक्षार्थी एवं प्राध्यापकगण प्रस्तुत पुस्तक को एक बार अवश्य पढ़ेंगे। उनसे इतना निवेदन और है कि वे पुस्तक पढ़कर अपने मंतञ्य से मुझे सूचित करने की कृपा करेंगे । हिन्दी भाषा में लिखने का यह मेरा पहला प्रयास है श्रतः पाठकों के मंतव्य, चाहे कितने ही आलोचना से भरपूर हों, मुझे प्रेरित ही करेंगे l
650 _aEducation analysis
942 _cB
_2ddc