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008 | 200202s9999 xx 000 0 und d | ||
020 | _a81m7055120X | ||
082 | _aH 491.438 GOD | ||
100 | _aGodarey, Vinod | ||
245 | 0 | _aPrayojanmulak Hindi | |
250 | _a1st ed. | ||
260 | _aNew Delhi | ||
260 | _bVani | ||
260 | _c1987 | ||
300 | _a190 p. | ||
520 | _aप्रस्तुत पुस्तक में प्रयोजनमूलक हिन्दी के अर्थ, आशय, स्वरूप तथा प्रयोग- क्षेत्र को स्पष्ट किया गया है और राजभाषा के रूप में हिन्दी के निरन्तर संघर्ष और उसकी अन्तिम परिणति को भी ऐतिहासिक सन्दर्भ में विश्लेषित किया है। | ||
942 |
_cB _2ddc |