000 | 02135nam a2200181Ia 4500 | ||
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999 |
_c34799 _d34799 |
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005 | 20220729122132.0 | ||
008 | 200202s9999 xx 000 0 und d | ||
082 | _aH 412 TIW | ||
100 | _aTiwari, Bholanath | ||
245 | 0 | _aShabdo ka jeevan | |
250 | _a;2nd r | ||
260 | _aNew Delhi | ||
260 | _bRajkamal | ||
260 | _c1977 | ||
300 | _a134 p. | ||
520 | _aशब्दों का निर्माण, शब्दों के अर्थ और उनकी ध्वनियों में परिवर्तन तथा शब्दों के आदान-प्रदान आदि से सम्बद्ध भाषावैज्ञानिक तथ्य प्रायः नीरस और समझने-समझाने की दृष्टि से दुरूह समझे जाते हैं । प्रस्तुत पुस्तक में सुप्रसिद्ध भाषाशास्त्री डा० भोलानाथ तिवारी ने अपनी सरल शैली में इन्हीं तथ्यों को लेकर हिन्दी में प्रथम बार भाषावैज्ञानिक ललित निबन्ध लिखने का सफल प्रयोग किया है । तिवारीजी की कल्पना ने इन ललित निबन्धों में शब्दों को मनुष्य की तरह ही जनमते-मरते, उलटते-पलटते, बोलते चालते, मोटाते-दुबलाते तथा उठते-गिरते दिखाया है । सामान्य पाठकों के लिए यह ललित निबन्धों का संग्रह है, तो विद्यार्थियों के लिए भाषाविज्ञान को अत्यन्त मनोरंजक शैली में हृदयंगम करानेवाली पुस्तक । | ||
942 |
_cB _2ddc |