000 | 01085nam a22001817a 4500 | ||
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999 |
_c347562 _d347562 |
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005 | 20230117154510.0 | ||
020 | _a9788180311246 | ||
082 |
_aH 294.5922 _bTUL |
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100 | _aTulsidas | ||
245 | _aTulsidas krit Kavitawali | ||
260 |
_aPrayagraj _bLokbharati _c2019 |
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300 | _a209p. | ||
520 | _aप्रस्तुत कविता में कवि श्री तुलसीदास जी ने बताया है कि संसार के सभी अच्छे बुरे क्रियाकलापों का आधार है ‘पेट की आग’ और उसका समाधान उन्हें सिर्फ रामभक्ति में ही मिलता है। कवि के अनुसार रामभक्ति उनके समस्त संकटों का समाधान है, सांसारिक मोहमाया से मुक्ति प्रदाता है। | ||
650 | _aKavitawali | ||
700 | _aPandey, Sudhakar (ed.) | ||
942 | _cB |