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082 |
_aH 891.431 _bBHA |
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100 | _aBharti, Alok | ||
245 | _aBadalte parivesh | ||
260 |
_aNew Delhi _bJaanki daani _c2021 |
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300 | _a168 p. | ||
520 | _aये कहानियां स्वार्थ, वैमनस्यता, उत्पीड़न और पाखंड का प्रतिकार करती हैं, तो अपने साथ-साथ अन्य लोगों के समुचित विकास के सामूहिक प्रयास का भी करती हैं। आलोक भारती की इन कहानियों में समाज में बढ़ रहे अनाचार के प्रति क्रोध है, व्यग्रता है। शालीन व्यवहार, मानवीय साहचर्य एवं आत्मीय अनुशासन के पक्षधर आलोक भारती समाज और व्यक्ति के प्रति संवेदनशील हैं। | ||
650 | _aStory collection | ||
942 | _cDB |