000 | 00825nam a22001577a 4500 | ||
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999 |
_c347453 _d347453 |
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005 | 20221219145244.0 | ||
020 | _a9789386863331 | ||
082 | _aH 891.438 YAS | ||
100 | _aYashpal | ||
245 | _aSinhavlokan | ||
260 |
_aNew Delhi _bLokbharti _c2017 |
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300 | _a520 p. | ||
520 | _a‘सिंहावलोकन' के तीनों खंडों को एक जिल्द में प्रकाशित करने का महत्त्व इस कारण बहुत बढ़ जाता है कि इसमें चौथे खंड का वह अप्रकाशित हिस्सा भी दिया जा रहा है जो उनके जीवन काल में प्रकाशित नहीं हो सका था। | ||
942 | _cB |