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082 _aH 891.438 YAS
100 _aYashpal
245 _aSinhavlokan
260 _aNew Delhi
_bLokbharti
_c2017
300 _a520 p.
520 _a‘सिंहावलोकन' के तीनों खंडों को एक जिल्द में प्रकाशित करने का महत्त्व इस कारण बहुत बढ़ जाता है कि इसमें चौथे खंड का वह अप्रकाशित हिस्सा भी दिया जा रहा है जो उनके जीवन काल में प्रकाशित नहीं हो सका था।
942 _cB