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020 _a9788180310997
082 _aH 891.431 SHA
100 _aSharma, Ramvilas (ed.)
245 _aRaag virag
260 _aNew Delhi
_bLokbharti
_c2021
520 _aयह उन कविताओं का संग्रह है जिसमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष, इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है ।
942 _cB