000 | 00704nam a22001457a 4500 | ||
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999 |
_c347452 _d347452 |
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003 | 0 | ||
005 | 20221219144525.0 | ||
020 | _a9788180310997 | ||
082 | _aH 891.431 SHA | ||
100 | _aSharma, Ramvilas (ed.) | ||
245 | _aRaag virag | ||
260 |
_aNew Delhi _bLokbharti _c2021 |
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520 | _aयह उन कविताओं का संग्रह है जिसमें जितना आनन्द का अमृत है, उतना ही वेदना का विष। कवि चाहे अमृत दे, चाहे विष, इनके स्रोत इसी धरती में हों तो उसकी कविता अमर है । | ||
942 | _cB |