000 | 01158nam a22001697a 4500 | ||
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999 |
_c347207 _d347207 |
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020 | _a9789383043095 | ||
082 | _aH 294.592 SAI | ||
100 | _aSain, Pawan Kumar | ||
245 | _aAatm manthan | ||
260 |
_aNew Delhi _bSatyam Books _c2016 |
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300 | _a239 p. | ||
520 | _aयह आत्म मंथन हमें परिस्थितियों पर विजयी होने के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। खुद से संवाद कायम करने हेतु, मनस्थिति को समझने हेतु हमें बाहर नहीं बल्कि खुद के अन्तर्मन में झांकने का अवसर प्रदान करता है। हर एक शब्द व्यक्ति हर रोज जीता है, अनुभव करता है। उन्हीं शब्दों को एक किताब के रूप में पिरोने का यह प्रयास है। | ||
650 | _aPawan Kumar Sain | ||
942 | _cB |